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________________ तृतीय स्थान— प्रथम उद्देश ११५ ११३- जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु तीताए उस्सप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए मणुया तिण्णि गाउयाइं उडु उच्चत्तेणं होत्था, तिण्णि पलिओवमाइं परमाउं पालइत्था। ११४- एवंइमीसे ओसप्पिणीए, आगमिस्साए उस्सप्पिणीए। ११५ - जंबुद्दीवे दीवे देवकुरुउत्तरकुरासु मणुया तिण्णि गाउआई उड्ढे उच्चत्तेणं पण्णत्ता, तिण्णि पलिओवमाइं परमाउं पालयंति। ११६– एवं जाव पुक्खरवरदीवद्धपच्चत्थिमद्धे। ___जम्बूद्वीप नामक द्वीप के भरत और ऐरवत क्षेत्र में अतीत उत्सर्पिणी के सुषमसुषमा नामक आरे में मनुष्य की ऊँचाई तीन गव्यूति (कोश) की थी और उत्कृष्ट आयु तीन पल्योपम की थी (११३)। इसी प्रकार इस वर्तमान अवसर्पिणी तथा आगामी उत्सर्पिणी में भी ऐसा ही जानना चाहिए (११४)। जम्बूद्वीप नामक द्वीप के देवकुरु और उत्तरकुरु में मनुष्यों की ऊँचाई तीन गव्यूति की कही गई है और उनकी तीन पल्योपम की उत्कृष्ट आयु होती है (११५)। इसी प्रकार धातकीषण्ड तथा पुष्करद्वीपार्ध के पूर्वार्ध और पश्चिमार्ध में जानना चाहिए (११६)। शलाकापुरुष-वंश-सूत्र ११७ - जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु एगमेगाए ओसप्पिणि-उस्सप्पिणीए तओ वंसाओ उप्पजिंसु वा उप्पजंति वा उप्पज्जिस्संति वा, तं जहा—अरहंतवंसे, चक्कवट्टिवंसे, दसारवंसे। ११८एवं जाव पुक्खरवरदीवद्धपच्चत्थिमद्धे। जम्बूद्वीप नामक द्वीप के भरत और ऐरवत क्षेत्र में प्रत्येक अवसर्पिणी तथा उत्सर्पिणी काल में तीन वंश उत्पन्न हुए थे, उत्पन्न होते हैं और उत्पन्न होंगे—अरहन्त-वंश, चक्रवर्ती-वंश और दशार-वंश (११७) । इसी प्रकार धातकीषण्ड तथा पुष्करवर द्वीपा के पूर्वार्ध और पश्चिमार्ध में तीन वंश उत्पन्न हुए थे, उत्पन्न होते हैं तथा उत्पन्न होंगे (११८)। शलाका-पुरुष-सूत्र ११९- जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु एगमेगाए ओसप्पिणी-उस्सप्पिणीए तओ उत्तमपुरिसा उप्पजिंसु वा उप्पजति वा उप्पजिस्संति वा, तं जहा–अरहंता, चक्कवट्टी, बलदेव-वासुदेवा। १२०एवं जाव पुक्खरवरदीवद्धपच्चत्थिमद्धे। जम्बूद्वीप नामक द्वीप के भरत और ऐरवत क्षेत्र में प्रत्येक अवसर्पिणी तथा उत्सर्पिणी में तीन प्रकार के उत्तम पुरुष उत्पन्न हुए थे, उत्पन्न होते हैं और उत्पन्न होंगे—अरहन्त, चक्रवर्ती और बलदेव-वासुदेव (११९)। इसी प्रकार धातकीषण्ड तथा पुष्करवर द्वीपार्ध के पूर्वार्ध और पश्चिमार्ध में भी जानना चाहिए (१२०)। आयुष्य-सूत्र १२१- तओ अहाउयं पालयंति, तं जहा–अरहंता, चक्कवट्टी, बलदेव-वासुदेवा। १२२तओ मज्झिममाउयं पालयंति, तं जहा–अरहंता, चक्कवट्टी, बलदेव-वासुदेवा। तीन प्रकार के पुरुष अपनी पूरी आयु का उपभोग करते हैं अरहन्त,चक्रवर्ती और बलदेव-वासुदेव (१२१)। तीनों अपने समय की मध्यम आयु का पालन करते हैं—अरहन्त, चक्रवर्ती और बलदेव-वासुदेव
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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