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स्थानाङ्गसूत्रम्
इन्द्र-पद
३५३- दो असुरकुमारिंदा पण्णत्ता, तं जहा—चमरे चेव, बली चेव। ३५४- दो णागकुमारिंदा पण्णत्ता, तं जहा—धरणे चेव, भूयाणंदे चेव। ३५५- दो सुवण्णकुमारिंदा पण्णत्ता, तं जहा—वेणुदेवे चेव, वेणुदाली चेव। ३५६- दो विजुकुमारिंदा पण्णत्ता, तं जहा—हरिच्चेव, हरिस्सहे चेव। ३५७- दो अग्गिकुमारिंदा पण्णत्ता, तं जहा—अग्गिसिहे चेव, अग्गिमाणवे चेव। ३५८-दो दीवकुमारिंदा पण्णत्ता, तं जहा-पुण्णे चेव, विसिटे चेव। ३५९-दो उदहिकुमारिंदा पण्णत्ता, तं जहा—जलकंते चेव, जलप्पभे चेव। ३६०-दो दिसाकुमारिंदा पण्णत्ता, तं जहाअमियगति चेव, अमितवाहणे चेव। ३६१- दो वायुकुमारिंदा पण्णत्ता, तं जहा–वेलंबे चेव, पभंजणे चेव। ३६२- दो थणियकुमारिंदा पण्णत्ता, तं जहा–घोसे चेव, महाघोसे चेव।
असुरकुमारों के दो इन्द्र कहे गये हैं—चमर और बली (३५३)। नागकुमारों के दो इन्द्र कहे गये हैं—धरण और भूतानन्द (३५४)। सुपर्णकुमारों के दो इन्द्र कहे गये हैं—वेणुदेव और वेणुदाली (३५५) । विद्युत्कुमारों के दो इन्द्र कहे गये हैं—हरि और हरिस्सह (३५६)। अग्निकुमारों के दो इन्द्र कहे गये हैं—अग्निशिख और अग्निमानव (३५७)। द्वीपकुमारों के दो इन्द्र कहे गये हैं—पूर्ण और विशिष्ट (३५८)। उदधिकुमारों के दो इन्द्र कहे गये हैंजलकान्त और जलप्रभ (३५९)। दिशाकुमारों के दो इन्द्र कहे गये हैं अमितगति और अमितवाहन (३६०)। वायुकुमारों के दो इन्द्र कहे गये हैं—वेलम्ब और प्रभंजन (३६१)। स्तनितकुमारों के दो इन्द्र कहे गये हैं—घोष और महाघोष (३६२)।
३६३- दो पिसाइंदा पण्णत्ता, तं जहा—काले चेव, महाकाले चेव। ३६४- दो भूइंदा पण्णत्ता, तं जहा सुरूवे चेव, पडिरूवे चेव। ३६५-दो जक्खिदा पण्णत्ता, तं जहा—पुण्णभद्दे चेव, माणिभद्दे चेव। ३६६- दो रक्खसिंदा पण्णत्ता, तं जहा—भीमे चेव, महाभीमे चेव। ३६७दो किण्णरिंदा पण्णत्ता, तं जहा—किण्णरे चेव, किंपुरिसे चेव। ३६८-दो किंपुरिसिंदा पण्णत्ता, तं जहासप्पुरिसे चेव, महापुरिसे चेव। ३६९-दो महोरगिंदा पण्णत्ता, तं जहा—अतिकाए चेव, महाकाए चेव। ३७०-दो गंधव्विंदा पण्णत्ता, तं जहा—गीतरती चेव, गीयजसे चेव। ____ पिशाचों के दो इन्द्र कहे गये हैं—काल और महाकाल (३६३) । भूतों के दो इन्द्र कहे गये हैं—सुरूप और प्रतिरूप (३६४)। यक्षों के दो इन्द्र कहे गये हैं—पूर्णभद्र और माणिभद्र (३६५)। राक्षसों के दो इन्द्र कहे गये हैंभीम और महाभीम (३६६) । किन्नरों के दो इन्द्र कहे गये हैं—किन्नर और किम्पुरुष (३६७) । किम्पुरुषों के दो इन्द्र कहे गये हैं—सत्पुरुष और महापुरुष (३६८)। महोरगों के दो इन्द्र कहे गये हैं—अतिकाय और महाकाय (३६९)। गन्धर्वो के दो इन्द्र कहे गये हैं -गीतरति और गीतयश (३७०)। __३७१- दो अणपण्णिदा पण्णत्ता, तं जहा सण्णिहिए चेव, सामण्णे चेव। ३७२- दो पणपण्णिदा पण्णत्ता, तं जहा—धाए चेव, विहाए चेव। ३७३ - दो इसिवाइंदा पण्णत्ता, तं जहा—इसिच्चेव इसिवालए चेव। ३७४- दो भूतवाइंदा पण्णत्ता, तं जहा— इस्सरे चेव, महिस्सरे