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________________ ५८ स्थानाङ्गसूत्रम् चेव। इट्ठा चेव, अणिट्ठा चेव। कंता चेव, अकंता चेव। पिया चेव, अपिया चेव। मणुण्णा चेव, अमणुण्णा चेव। मणामा चेव, अमणामा चेव। २३८- दुविहा फासा पण्णत्ता, तं जहा–अत्ता चेव, अणत्ता चेव। इट्ठा चेव, अणिट्ठा चेव। कंता चेव, अकंता चेव। पिया चेव, अपिया चेव। मणुण्णा चेव, अमणुण्णा चेव। मणामा चेव, अमणामा चेव। दो प्रकार के शब्द कहे गये हैं—आत्त और अनात्त तथा इष्ट और अनिष्ट, कान्त और अकान्त, प्रिय और अप्रिय, मनोज्ञ और अमनोज्ञ, मनाम और अमनाम (२३४)। दो प्रकार के रूप कहे गये हैं—आत्त और अनात्त तथा इष्ट और अनिष्ट, कान्त और अकान्त, प्रिय और अप्रिय, मनोज्ञ और अमनोज्ञ, मनाम और अमनाम (२३५)। दो प्रकार के गन्ध कहे गये हैं—आत्त और अनात्त तथा इष्ट और अनिष्ट, कान्त और अकान्त, प्रिय और अप्रिय, मनोज्ञ और अमनोज्ञ, मनाम और अमनाम (२३६)। दो प्रकार के रस कहे गये हैं—आत्त और अनात्त तथा इष्ट और अनिष्ट, कान्त और अकान्त, प्रिय और अप्रिय, मनोज्ञ और अमनोज्ञ, मनाम और अमनाम (२३७)। दो प्रकार के स्पर्श कहे गये हैं—आत्त और अनात्त तथा इष्ट और अनिष्ट, कान्त और अकान्त, प्रिय और अप्रिय, मनोज्ञ और अमनोज्ञ, मनाम और अमनाम (२३८)। आचार-पद २३९- दुविहे आयारे पण्णत्ते, तं जहा–णाणायारे चेव, णोणाणायारे चेव। २४०णोणाणायारे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा–दसणायारे चेव, णोदंसणायारे चेव। २४१- णोदंसणायारे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा—चरित्तायारे चेव, णोचरित्तायारे चेव। २४२– णोचरित्तायारे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा तवायारे चेव, वीरियायारे चेव। आचार दो प्रकार का कहा गया है—ज्ञानाचार और नो-ज्ञानाचार (२३९)। नो-ज्ञानाचार दो प्रकार का कहा गया है—दर्शनाचार और नो-दर्शनाचार (२४०)। नो-दर्शनाचार दो प्रकार कहा गया है—चारित्राचार और नोचारित्राचार (२४१)। नो-चारित्राचार दो प्रकार का कहा गया है—तपःआचार और वीर्याचार (२४२)।। यद्यपि आचार के पांच भेद हैं, किन्तु द्विस्थानक के अनुरोध से उनको दो-दो भेद के रूप में वर्णन किया गया है। इनका विवेचन पंचम स्थानक में किया जायेगा। प्रतिमा-पद २४३- दो पडिमाओ पण्णत्ताओ, तं जहा समाहिपडिमा चेव, उवहाणपडिमा चेव। २४४ - दो पडिमाओ पण्णत्ताओ, तं जहा—विवेगपडिमा चेव, विउसग्गपडिमा चेव। २४५- दो पडिमाओ पण्णत्ताओ, तं जहा—'भद्दा चेव, सुभद्दा चेव'। २४६-दो पडिमाओ पण्णत्ताओ, तं जहा—महाभद्दा चेव, सव्वत्तोभद्दा चेव। २४७- दो पडिमाओ पण्णत्ताओ, तं जहा—खुड्डिया चेव मोयपडिमा, महल्लिया चेव मोयपडिमा। २४८-दो पडिमाओ पण्णत्ताओ, तं जहा—जवमज्झा चेव चंदपडिमा, वइरमज्झा चेव चंदपडिमा। प्रतिमा दो प्रकार की कही गई है—समाधिप्रतिमा और उपधानप्रतिमा (२४३) । पुनः प्रतिमा दो प्रकार की
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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