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________________ [८] स्थानाङ्ग के प्रथम - संस्करण के प्रकाशन में विशिष्ट अर्थसहयोगी श्री सुगनचन्दजी चोरड़िया ( संक्षिप्त परिचय ) श्री " बालाराम पृथ्वीराज की पेढ़ी" अहमदनगर महाराष्ट्र में बड़ी शानदार प्रसिद्ध थी। दूर-दूर पेढ़ी की महिमा फैली हुई थी। साख व धाक थी। इस पेढ़ी के मालिक सेठ श्री बालारामजी मूलतः राजस्थान के अन्तर्गत मरुधारा के सुप्रसिद्ध गांव नोखा चान्दावताँ के निवासी थे । श्री बालारामजी के भाई का नाम छोटमलजी था। छोटमलजी के चार पुत्र हुए— १. लिखमीचन्दजी २. हस्तीमलजी ३. चाँदमलजी ४. सूरजमलजी श्रीयुत् सेठ सुगनचन्दजी श्री लिखमीचन्दजी के सुपुत्र हैं। आपकी दो शादियाँ हुई थीं। पहली पत्नी से आपके तीन पुत्र हुए १. दीपचन्दजी, २. माँगीलालजी, ३. पारसमलजी । दूसरी पत्नी से आप तीन पुत्र एवं सात पुत्रियों के पिता बने। आपके ये तीन पुत्र हैं १. किशनचन्दजी, २. रणजीतमलजी, ३. महेन्द्रकुमारजी । श्री सुगनचन्दजी पहले अपनी पुरानी पेढ़ी अहमदनगर में ही अपना व्यवसाय करते थे। बाद में आप व्यवसाय के लिए रायचूर (कर्नाटक) चले गए और वहाँ से समय पाकर आप उलुन्दर पेठ पहुँच गए। उलुन्दर पेठ पहुंच कर आपने अपना अच्छा कारोबार जमाया। • आपके व्यवसाय के दो प्रमुख कार्यक्षेत्र हैं— फाइनेन्स और बैंकिग । आपने अपने व्यवसाय में अच्छी प्रगति की। आज आपके पास अपनी अच्छी सम्पन्नता है। अभी-अभी आपने मद्रास को भी अपना व्यावसायिक क्षेत्र बनाया है। मद्रास के कारोबार का संचालन आपके सुपुत्र श्री किशनचन्दजी कर रहे हैं। श्री सुगनचन्दजी एक धार्मिक प्रकृति के सज्जन पुरुष हैं। संत मुनिराज - महासतियों की सेवा करने की आपको अच्छी अभिरुचि है। मुनि श्री हजारीमल स्मृति प्रकाशन के आप संरक्षक सदस्य हैं। प्रस्तुत प्रकाशन में आपने एक अच्छी अर्थराशि का सहयोग दिया है। एतदर्थ संस्था आपकी आभारी है। आशा है, समय-समय पर इसी प्रकार अर्थ सहयोग देकर आप संस्था को प्रगतिशील बनाते रहेंगे।
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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