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प्रकाशकीय
स्थानाङ्गसूत्र का तृतीय संस्करण पाठकों के कर-कमलों में समर्पित करते हुए अतीव हर्ष है कि श्रमण संघ के युवाचार्य सर्वतोभद्र स्व. श्री मधुकर मुनिजी म.सा. की आगमभक्ति और सत्साहित्य प्रचार-प्रसार की भावना के फलस्वरूप जो आगमप्रकाशन का कार्य प्रारम्भ हुआ था, वह वटवृक्ष के सदृश दिनानुदिन व्यापक होता गया और समिति को अपने प्रकाशनों के तृतीय संस्करण प्रकाशित करने का निश्चय करना पड़ा।
अभी तक आचारांग, सूत्रकृतांग, समवायांग, उत्तराध्ययन, राजप्रश्नीयसूत्र, नन्दीसूत्र, औपपातिक, विपाकसूत्र, अनुत्तरौपपातिक, व्याख्याप्रज्ञप्ति (प्रथम भाग) और अन्तकृद्दशासूत्र आदि आगमों के तृतीय संस्करण प्रकाशित हो गए हैं। शेष सूत्र ग्रन्थों के भी तृतीय संस्करण प्रकाशित किये जा रहे हैं।
प्रस्तुत आगम का अनुवाद पण्डित हीरालालजी शास्त्री ने किया है। अत्यन्त दुःख है कि शास्त्रीजी इसके आदि-अन्त के भाग को तैयार करने से पूर्व ही स्वर्गवासी हो गए। उनके निधन से समाज के एक उच्चकोटि के सिद्धान्तवेत्ता की महती क्षति तो हुई ही, समिति का एक प्रमुख सहयोगी भी कम हो गया।
• स्थानांग के मूल पाठ एवं अनुवादादि में आगमोदय समिति की प्रति, आचार्य श्री अमोलकऋषिजी म. तथा युवाचार्य श्री महाप्रज्ञ (मुनि श्रीनथमलजी म.) द्वारा सम्पादित 'ठाणं' की सहायता ली गई है। अतएव अनुवादक को ओर से और हम अपनी ओर से भी इन सब के प्रति आभार व्यक्त करना अपना कर्तव्य समझते हैं।
युवाचार्य पण्डितप्रवर श्रीमधुकर मुनिजी तथा पण्डित शोभाचन्द्रजी भारिल्ल ने अनुवाद का निरीक्षणसंशोधन किया था। समिति के अर्थदाताओं तथा अन्य पदाधिकारियों से प्रत्यक्ष-परोक्ष सहयोग प्राप्त हुआ है। प्रस्तावनालेखक विद्वद्वर्य श्री देवेन्द्र मुनि जी म.सा. का सहयोग अमूल्य है, किन शब्दों में उनका आभार व्यक्त किया जाय।
समिति के सभी प्रकार के सदस्यों से तथा आगमप्रेमी पाठकों से नम्र निवेदन है कि समिति द्वारा प्रकाशित आगमों का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करने में हमें सहयोग करें, जिससे समिति के उद्देश्य की अधिक पूर्ति हो सके।
समिति प्रकाशित आगमों से तनिक भी आर्थिक लाभ नहीं उठाना चाहती, बल्कि लागत मूल्य से भी कम ही मूल्य रखती है। किन्तु कागज तथा मुद्रण व्यय अत्यधिक बढ़ गया है और बढ़ता ही जा रहा है। उसे देखते हुए आशा है जो मूल्य रखा जा रहा है, वह अधिक प्रतीत नहीं होगा।
सागरमल बैताला
अध्यक्ष
रतनचन्द मोदी कार्याध्यक्ष
सायरमल चोरडिया
महामन्त्री
ज्ञानचंद बिनायकिया
मन्त्री
श्री आगमप्रकाशन समिति, ब्यावर (राजस्थान)