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पन्द्रहवां अध्ययन : सूत्र ७६६-७६८
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अपाणएणं, एगं साडगमायए चंदप्पभाए सिबियाए सहस्सवाहिणीयाए सदेव-मणुया-ऽसुराए २ परिसाए समण्णिजमाणे २ उत्तरखत्तियकुंडपुरसंणिवेसस्स मज्झ मज्झेणं निग्गच्छति, २ [त्ता] जेणेव णातसंडें उजाणे तेणेव उवागच्छति,२ [त्ता] ईसिंरतणिप्पमाणं अच्छोप्पेणं भूमिभागेणं सणियं २ चंदप्पभं सिबियं सहस्सवाहिणिं ठवेति, सणियं २ जाव ठवेत्ता सणियं २ चंदप्पभातो सिबियातो हस्सवाहिणीओ पच्चोतरति, २ [त्ता] सणियं २पुरत्थाभिमुहे सीहासणे णिसीदति, २[त्तों] आभरणालंकारं ओमुयति। ततो णं वेसमणे देवे जनुपायपडिते समणस्स भगवतो महावीरस्स हंसलक्खणेणं पडेणं आभरणालंकारं पडिच्छति।
ततो णं समणे भगवं महावीरे दाहिणेण दाहिणं वामेण वामं पंचमुट्ठियं लोयं करेति। ततो णं सक्के देविंदे देवराया समणस्स भगवतो महावीरस्स जन्नुपायपाडिते वइरामएणं थालेणं केसाइं पडिच्छति, २ [त्ता] अणुजाणेसि भंते!' त्ति कट्ट खीरोदं सागरं साहरति। ततो णं समणे भगवं महावीरे दाहिणेणं दाहिणं वामेण वामं पंचमुट्ठियं लोयं करेत्ता सिद्धाणं णमोक्कारं करेति, २ [त्ता] सव्वं में अकरणिजं पावं कम्मं ति कट्ट सामाइयं चरित्तं पडिवज्जइ, सामाइयं चरित्तं पडिवजित्ता देवपरिसंच मणुयपरिसंच आलेक्खचित्तभूतमिव ठवेति। ७६७. दिव्वो मणुस्सघोसो तुरिणिणाओ य सक्कवयणेणं।
खिप्पामेव णिलुक्को जाहे पडिवजति चरित्तं ॥ १२८॥ ७६८. पडिवज्जित्तु चरित्तं अहोणिसं सव्वपाणभूतहितं।
साहट्ठ लोमपुलया पयता देवा णिसामेति ॥ १२९॥ ७६६. उस काल और उस समय में, जबकि हेमन्त ऋतु का प्रथम मास, प्रथम पक्ष अर्थात् मार्गशीष मास का कृष्णपक्ष था। उस मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की दशमी तिथि के सुव्रत दिवस के विजय मुहूर्त में, हस्तोत्तर (उत्तराफाल्गुनी) नक्षत्र के साथ चन्द्रमा का योग होने पर, पूर्वगामिनी छाया होने पर, द्वितीय पौरुषी (प्रहर) के बीतने पर, निर्जल षष्ठभक्त प्रत्याख्यान (दो दिन के उपवासों) के साथ एकमात्र (देवदूष्य) वस्त्र को लेकर भगवान् महावीर चन्द्रप्रभा नाम की सहस्रवाहिनी शिविका में विराजमान हुए थे; जो देवों, मनुष्यों और असुरों की परिषद् द्वारा ले जाई जा रही थी। अत: उक्त परिषद् के साथ वे क्षत्रियकुण्डपुर सन्निवेश के बीचोंबीच-मध्यभाग में से होते हुए जहाँ ज्ञातखण्ड नामक उद्यान था, उसके निकट पहुँचे। वहाँ पहुँच कर देव छोटे १. 'सहसवाहिणीयाए' के बदले पाठान्तर है- 'सहस्सवाहिणीए।' २. 'सदेव मणुया' के बदले पाठान्तर है- 'सव्वमणुया' सदेवमणुया वा। ३. 'सिबियातो' के बदले पाठान्तर है- 'सीयाओ।' । ४. 'सव्वं मे अकरणिज' के पाठान्तर हैं-'सव्वंऽकरणिजं,सव्वंकरणिजं, सव्वं अकरणिज्जं।' ५. 'साहट्ठलोमपुलया' के बदले पाठान्तर है—'साहट्टलोमपुलया।'