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________________ ३६८ आचारांग सूत्र द्वितीय श्रुतस्कन्ध - गर्भ रोहिणी के गर्भ में रख देती है। तब पुरवासी लोग अत्यंत दु:ख के साथ कहने लगे'हाय ! बेचारी देवकी का गर्भ नष्ट 'गया।' १ वैज्ञानिकों ने भी परीक्षण करके गर्भ-परिवर्तन को संभव माना है। गुजरात वर्नाक्यूलर सोसाइटी द्वारा प्रकाशित जीव विज्ञान ( पृ० ४३) में इस घटना को प्रमाणित करने वाला एक वर्णन दिया गया है - एक अमेरकिन डॉक्टर को एक गर्भवती भाटिया महिला का ऑपरेशन करना था। डॉक्टर ने एक गर्भिणी बकरी का पेट चीर कर उसके पेट का बच्चा एक विद्युत संचालित डिब्बे में रख दिया और उस स्त्री के पेट का बच्चा बकरी के पेट में। ऑपरेशन कर चुकने के बाद डॉक्टर ने स्त्री का बच्चा स्त्री के पेट में और बकरी का बच्चा बकरी के पेट में रख दिया। कालान्तर में स्त्री और बकरी जिन बच्चों को जन्म दिया, वे स्वस्थ एवं स्वाभाविक रहे । २ भगवान् महावीर का जन्म ७३६. तेणं कालेणं तेणं समएणं तिसिला खत्तियाणी अह अण्णदा कदायी णवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अद्धट्टमाणं राइंदियाणं वीतिकंताण जे से गिम्हाणं पढमे मासे दोच्चे पक्खे चेतसुद्धे तस्स णं चेत्तसुद्धस्स तेरसीपक्खणं हत्थुत्तराहिं णक्खत्तेण जोगोवगतेणं समणं भगवं महावीरं अरोया अरोयं पसूता । ७३७. जं णं रातिं तिसिला खत्तियाणी समणं भगवं महावीरं अरोया अरोयं पसूता तं ३ राई भवणवति - वाणमंतर - जोतिसिय-विमाणवासिदेवेहिं य देवीहिं य ओवयंतेहिं य उप्पयंतेहिं यं संपयेतेहिं य एगे महं दिव्वे देवुज्जोते देवसंणिवाते' देवकहक्कहए, उप्पिंजलगभूते यावि होत्था । ७३८. जं णं रयणि तिसिला खत्तियाणी समणं भग़वं महावीरं आरोया अरोयं पसूता + तं णं रयणि बहवे देवाय देवीओ य एगं महं अमयवासं च गंधवासं चं चुण्णवासं चं पुप्फवासं च हिरण्णवासं च रयणवासं च वासिंसु । ७३९. जं णं रयणिं तिसिला खत्तियाणी समणं भगवं महावीरं 'अरोगा अरोगं पसूता तं णं यणिं भवणवति-वाणमंतर - जोतिसिय-विमाणवासिणो देवा य देवीओ य समणस्स भगवतो महावीरस्स कोतुगभूइकम्माई तित्थगराभिसेयं च करिंसु । १. गर्भे प्रणीते देवक्या रोहिणीं योगनिद्रया । अहो वित्रसितो गर्भ इति पौरा विचुक्रुशः ॥१५ ॥ - भागवत० स्कंध १० पृ. १२२-१२३ २. कल्पसूत्र (देवेन्द्र मुनि सम्पदित) में वर्णित घटना । ३. तुलना करिए — सा णं रयणी बहुहिं देवेहिं या देवीहिं य उवयंतेहि य उप्पयंतेहि य उप्पिंजलमाणभूया । कहकहभूया यावि होत्था । — कल्पसूत्र सूत्र ९४ ४. 'देवसंणिवाते' के बदले पाठ है— देवसंणिवातेण, 'देसंणिवातेण ते देव ।' ५. 'पसूता' के बदले 'पसुता' और 'पसुत्ता' पाठान्तर हैं।
SR No.003437
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1990
Total Pages510
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, & agam_acharang
File Size10 MB
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