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________________ आचारांग के नाम • आचारांग नियुक्ति में आचारांग के दस पर्यायवाची नाम प्राप्त होते हैं ' - १. आयार - यह आचरणीय का प्रतिपादन करने वाला है, एतदर्थ आचार है। २. आचाल- यह निविड बंध को आचालित (चलित) करता है, अतः आचाल है। ३. आगाल-चेतना को सम धरातल में अवस्थित करता है, अतः आगाल है। ४. आगर - यह आत्मिक-शुद्धि के रत्नों को पैदा करने वाला है, अतः आगर है। आसास- यह संत्रस्त चेतना को आश्वासन प्रदान करने में सक्षम है, अतः आश्वास है। ६. आयरिस - इसमें इतिकर्तव्यता का स्वरूप देख सकते हैं, अतः यह आदर्श है। ७. अङ्ग- यह अन्तस्तल में अहिंसा आदि जो भाव रहे हुए हैं, उनको व्यक्त करता है, अतः अंग है। ८. आइण्ण - प्रस्तुत आगम में आचीर्ण धर्म का निरूपण किया गया है, अतः आचीर्ण है। ९. आजाइ- इससे ज्ञान आदि आचारों की प्रसूति होती है, अतः आजाति है। १०. आमोक्ख - बन्धन-मुक्ति का यह साधन है, अत: आमोक्ष है। नियुक्तिकार भद्रबाहु ने लिखा है कि शिष्यों के अनुग्रहार्थ श्रमणाचार के गुरुतम रहस्यों को स्पष्ट करने के लिए आचारांग की चूलाओं का आचार में से नि!हण किया गया है। किस-किस अध्ययन को कहाँ-कहाँ से नियूंढ किया गया है उसका उल्लेख आचारांग चूर्णी में भी और आचारांग वृत्ति में भी प्राप्त होता है। वह तालिका इस प्रकार है - नि!हण-स्थल : आचारांग नियूंढ अध्ययन : आचारचूला अध्ययन उद्देशक अध्ययन १, २, ५,६,७ १,२,५,६,७ » १८-४ १५ २-४ प्रत्याख्यान पूर्व के तृतीय वस्तु का आचार नामक बीसवाँ प्राभृत। आचार-प्रकल्प (निशीथ) आचारांग नियुक्ति में केवल नि!हण स्थल के अध्ययन और उद्देशकों का संकेत किया है। कहीं-कहीं पर चूर्णिकार और वृत्तिकार ने नि!हण सूत्रों का भी संकेत किया है। १. २. ३. आचारांग नियुक्ति गाथा ७ . आचारांग नियुक्ति गाथा ७ से १० तक आचारांग चूर्णी सूत्र ८७,८८,८९, १०२, १६२, १९६, २४० आचारांग वृत्ति पृष्ठ ३१९ से ३२० जैन आगम साहित्य : मनन और मीमांसा, पृष्ठ ५२ टिप्पण १ जैन आगम साहित्य : मनन और मीमांसा, पृष्ठ ५२ टिप्पण २ [२७] ५.
SR No.003436
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages430
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, & agam_acharang
File Size9 MB
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