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________________ उदारमना अर्थसहयोगी श्रीमान जेठमलजी सा. चोरडिया [संक्षिप्त परिचय ] एक उक्ति प्रसिद्ध है "ज्ञानस्य फलं विरतिः "- ज्ञान का सुफल है - वैराग्य । वैसे ही एक सूक्ति है - "वित्तस्य धन का सुफल है - दान । फलं वितरणं" नागौर जिला तथा मेड़ता तहसील के अन्तर्गत चांदावतों का नोखा एक छोटा किन्तु सुरम्य ग्राम है। इस ग्राम में चोरडिया परिवार के घर अधिक हैं। बोथरा, ललवाणी आदि परिवार भी हैं। प्रायः सभी परिवार व्यापार-कुशल हैं। चोरडिया परिवार के पूर्वजों में श्री उदयचन्दजी पूर्व - पुरुष थे। उनके तीन पुत्र थे - श्री हरकचन्दजी, श्री राजमलजी व श्री चांदमलजी । श्री हरकचन्दजी के पुत्र थे श्री गणेशमलजी एवं इनकी मातेश्वरी का नाम श्रीमती रूपीबाई था। श्री गणेश जी की धर्मपत्नी का नाम सुन्दरबाई था। आपके दस पुत्र एवं एक पुत्री हुए जिनके नाम इस प्रकार हैं- श्री जोगीलालजी, श्री पारसमलजी, श्री अमरचन्दजी, श्री मदनलालजी, श्री सायरमलजी, श्री पुखराजजी, श्री जेठमलजी, श्री सम्पतराजजी, श्री मंगलचन्दजी एवं श्री भूरमलजी । पुत्री का नाम लाडकंवरबाई है। श्रीमान् जेठमलजी सा. सातवें नम्बर के पुत्र हैं। आपकी धर्मपत्नी का नाम श्रीमती रेशमकंवर है । आप धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों में सदा सतत् अभिरुचि रखने वाले । आप समाजसेवा, धार्मिक-उत्सव, दान आदि कार्यों में सदा अग्रसर रहते हैं। आपका व्यवसायिक क्षेत्र बैंगलोर है। "महावीर ड्रग हाउस " के नाम से अंग्रेजी दवाइयों की बहुत बड़ी दुकान है। दक्षिण भारत में दवाइयों के वितरण में इस दुकान का प्रथम नम्बर है। आप औषधि व्यावसायिक एसोसियेशन के जनरल सैक्रेट्री हैं। अखिल भारत औषधि व्यवसाय एसोसियेशन के आप सहमन्त्री हैं। आप बैंगलोर श्री संघ के ट्रस्टी हैं एवं बैंगलोर युवक जैन परिषद् के अध्यक्ष हैं। बैंगलोर सिटी स्थानक के उपाध्यक्ष हैं। आपके तीन पुत्र - श्री महावीरचन्दजी, श्री प्रेमचन्दजी, श्री अशोकचन्दजी हैं तथा एक पुत्री - स्नेहलता है। सभी पुत्र ग्रेजुएट एवं सुयोग्य हैं। आपके कार्यभार को सम्भालने वाले हैं। आपका समस्त परिवार आचार्य प्रवर श्री जयमलजी म.सा. की सम्प्रदाय का अनुयायी है तथा स्वर्गीय पूज्य गुरुदेव श्री हजारीमलजी म.सा., उप-प्रवर्तक स्वामीजी श्री ब्रजलालजी म.सा., पूज्य युवाचार्य श्री मधुकर मुनिजी म.सा. एवं वर्तमान में उप-प्रवर्तक श्री विनयमुनिजी म.सा. आदि मुनिराजों के प्रति पूर्ण निष्ठावान् भक्त हैं। अध्यात्मयोगिनी, मालवज्योति, काश्मीरप्रचारिका महासतीजी श्री उमरावकुंवरजी म.सा. " अर्चना " के प्रति आपकी अनन्य श्रद्धा है। पिछले ८-१० वर्षों से आप अधिकांश समय महासतीजी म.सा. की सेवा में ही व्यतीत करते हैं। कुल मिलाकर यदि कहा जाये तो आप अपने आप में एक संस्था हैं। श्री आगम प्रकाशन समिति की स्थापना से लेकर अद्यावधिपर्यन्त आपका योगदान रहा है। समय-समय पर अपने . मार्गदर्शन से समिति की प्रवृत्तियों का विकास करने में तत्पर रहे हैं और वर्तमान में भी हैं। एतदर्थ हम आपका सधन्यवाद आभार मानते हैं। भविष्य में भी आगमों के प्रकाशन तथा अन्य साहित्यिक कार्यों में आपका सहयोग निरंतर मिलता रहेगा, इसी आशा के साथ - [१७] ज्ञानचन्द बिनायकिया मंत्री
SR No.003436
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages430
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, & agam_acharang
File Size9 MB
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