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________________ सम्यग्वाद : अहिंसा के संदर्भ में 'सम्मत्तं' चउत्थं अज्झयणं पढमो उद्देसओ 'सम्यक्त्व' चतुर्थ अध्ययन : प्रथम उद्देशक १३२. से बेमि - जे य अतीता जे य पडुप्पण्णा जे य आगमिस्सा अरहंता भगवंता ते सव्वे एवमाइक्खंति, एवं भाति, एवं पण्णवेंति, एवं परूवेंति - सव्वे पाणा सव्वे भूता सव्वे जीवा सव्वे सत्ता'ण हंतव्वा, ण अज्जावेतव्वा ण परिघेत्तव्वा, ण परितावेयव्वा, ण उद्दवेयव्वा । एस धम्मे सुद्धे णितिए सासए समेच्च लोयं खेतण्णेहिं ' पवेदिते । तं जहा - उट्ठिएसु वा अणुट्ठिएसुवा, उवट्ठिएसु वा, अणुवट्ठिएसु वा, उवरतदंडेसु वा अणुवरतदंडेसु वा सोवधिएसु वा अणुवहिएसु वा, संजोगरएसु वा असंजोगरएसु वा । १३३. तच्चं चेतं तहा चेतं अस्सिं चेतं पवुच्चति । तं आइतु णणिहे, ण णिक्खिवे, जाणित्तु धम्मं जहा तहा । दिट्ठहिं णिव्वेयं गच्छेजा । णो लोगस्सेसणं चरे । जस्स णत्थि इमा णाती अण्णा तस्स कतो सिया । दिट्टं सुतं मयं विण्णायं जमेयं परिकहिज्जति । सममाणा पलेमाणा पुणो पुणो जातिं पकप्पेंती । अहो रातो य जतमाणे धीरे सया आगतपण्णाणे, पमत्ते बहिया पास, अप्पमत्ते सया परक्कमेज्जासि त्ति बेमि । १. १३२. ॥ पढमो उद्देसओ समत्तो ॥ . मैं कहता हूँ - जो अर्हन्त भगवान् अतीत में हुए हैं, जो वर्तमान में हैं और जो भविष्य में होंगे - वे सब ऐसा आख्यान 'खेतण्णेर्हि' के स्थान पर 'खेअण्णेहिं', 'खेदण्णेहिं' आदि शब्द हैं, अर्थ पूर्ववत् है। चूर्णिकार ने 'खित्तण्णो' (क्षेत्रज्ञ) शब्द का निर्वचन इस प्रकार किया है- 'खित्तं आगासं, खित्तं जाणतीति खित्तण्णो, तं तु आहारभूतं दव्वं-काल- भावाणं अमुत्तं च पवुच्चति । मुत्तामुत्ताणि खित्तं च जाणतो पाएण दव्वादीणि जाणइ । जो वा संसारियाणि दुक्खाणि जाणति सो 'खित्तण्णो पंडितो वा।'-क्षेत्र अर्थात् आकाश, क्षेत्र को जो जानता है, वह क्षेत्रज्ञ है। आकाश या क्षेत्र द्रव्य-काल-भावों आधारभूत और अमूर्त है। मूर्त-अमूर्त और क्षेत्र को जो जानता है, वह प्रायः द्रव्यादि को जानता है। अथवा जो सांसारिक दुःखों को जानता है, वह भी क्षेत्रज्ञ या पण्डित कहलाता है।
SR No.003436
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages430
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, & agam_acharang
File Size9 MB
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