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________________ ग्रन्थका-विषयक संस्मरण एक नये संवत् का भी पता चला जो बलभी संवत्' कहलाता था। कुतर्क एवं असंगतिपूर्ण अर्थाभास से बचाने के लिए गूढाक्षरों में दी हुई तिथियों का उद्घाटन करने में उसकी बुद्धि और व्युत्पत्ति उस समय बहुत लाभदायक सिद्ध हुई जब यह कला भारत के पण्डितों में भी सामान्य रूप से ज्ञात नहीं थी । उसने कहा है "बहुत से शिलालेखों में तिथियाँ अंकों में न लिखी होने के कारण मैंने उन पर ध्यान नहीं दिया; और ऐसा तब तक चलता रहा जब तक कि मेरे अनुसंधान के पिछले वर्षों में मेरे 'यति' ने मुख्य उपाध्याय और अपने (जैन) धर्म के अन्य विद्वानों की सहायता के माध्यम से इस कठिनाई को हल न कर दिया और इन शिलालेखों में से कुछ के सांकेतिक अक्षरों का अर्थोद्घाटन न कर दिया।" सब से पहले कर्नल टॉड ने ही योरप में इस विशिष्ट प्रणाली का परिचय दिया था। बाद में एम. वॉन इलीगेल (M. Von Schlegel), एम. कॉस्मो डी कोरोस (M.Cosmo de Koros) और मिस्टर जेम्स प्रिंसेप (Mr. James Princep) ने इसमें पूर्ण प्रगति की । उसके पुरावशेषों सम्बन्धी अनुसन्धान भी विशुद्ध हिन्दू-पुरातत्व तक ही सीमित नहीं थे। उसने बॅक्ट्रिअन और इण्डो-ग्रीसियन सिक्कों की खोज की और बड़ी तादाद में उनको एकत्रित किया तथा उनका अध्ययनात्मक और सही-सही विवरण दिया जिससे मुद्रा-शास्त्र की एक शाखा के अध्ययन का श्री-गणेश हुआ और इसके बड़े महत्वपूर्ण परिणाम निकले। कर्नल टॉड का जीवन-वृत्तान्त अब उस स्थल पर आ पहुंचा है जो पाठकों के हाथों में विद्यमान ग्रन्थ में वर्णित है। इसमें बताया है कि उसने भारत क्यों छोड़ा, स्वास्थ्य की गिरी-पड़ी दशा में भी निकटतम बन्दरगाह पर सीधे न जाकर चक्कर खाते हुए खोज-पूर्ण यात्रा प्रारम्भ करने का क्या कारण था ? (ये उद्देश्य इस शास्त्र में उसके अनुपशाम्य उत्साह के महान् लक्षणों के परिचायक हैं) साथ ही, उसने मार्ग में देखे हए दृश्यों और पदार्थों का विवरण एवं घटनाओं का वर्णन भी किया है । यहाँ इतना ही कहना पर्याप्त होगा कि १ यह शिलालेख 'इतिहास, भाग २' के परिशिष्ट में दिया गया है। इसमें ये चार संवत् दिए गये है-हिजरी सन् ६६२ - विक्रम संवत् १३२० : बलभी संवत १४५ = शिवसिंह संवत् ५१ । हमारे सन का वर्ष १२६४ ई० । • गूढाक्षरों में कही गई तिथियों का उदाहरण पृ० ३८६ पर देखें : ३ एशियाटिक जर्नल, भा० २२, पृ० १४ ई० । ४ ये सिक्के उसने स्वेच्छा से रॉयल एशियाटिक सोसाइयो को दे दिये। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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