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प्रन्थकर्ता विषयक संस्मरण
[ २७ या उनको जड से उखाड़ फेंकना उसका कर्तव्य था। उस समय अपनी अवस्था के बयासीवें वर्ष में चल रहे अन्धे राज-प्रतिनिधि जालिमसिंह ने उसके सभी कार्यों की प्रशंसा की; कर्नल टॉड कहता है कि "जब उसके द्वारा मेरी ओर बढ़ाए हुए दुर्बल हाथों को मैंने दबाया तो उसकी ज्योतिहीन आँखों में आँसू भर आए और बोलने की शक्ति ने उसका साथ नहीं दिया।"
रावता में (जो पिण्डारी-युद्ध के समय उसका कार्य-केन्द्र था) उसने निश्चय किया कि उत्तरी मालवा में हो कर सफर किया जाय । मुकन्दरा की घातक घाटी पार कर के वह बाडोली के वैभवशालो खण्डहरों में पहँचा (जो चम्बल और घाटी के बीच में पचेल नामक सपाट भूमि में स्थित हैं) । इन अवशेषों का उसने ऐसा स्पष्ट आलेखन और वर्णन किया है कि कितने ही दर्शक उन भग्न एवं क्षीयमाण स्मारकों को देखने के लिए लालायित हो उठते हैं, जो प्रागैतिहासिक हिन्दू स्थापत्य-कला को उत्कृष्टता की साक्षी दे रहे हैं। चम्बल के चूलों कूलों ?] (Choolis) अथवा जलावों, गंगभेव के अस्तव्यस्त महान् अवशेषों और धूमनर (Dhoomnar) की गुफाओं ने भी उस उत्साही यात्रो का ध्यान क्रमशः आकर्षित किया; और इन अवशेषों के (जिनमें से, कहते हैं, बहुत से तो शक्तिशाली विनाशकारी प्रकृति की अपेक्षा और भी भयङ्कर विनाशक मानवीय हाथों से विनष्ट हो चुके हैं) नक्शे तैयार किए गए जिनके उत्कीर्ण-आलेख्य 'इतिहास' की शोभा बढ़ा रहे हैं। स्थापत्य के इन नमूनों की प्रशंसा से जो प्रेरणा मिली वह प्राचीन नगरी चन्द्रावती के विशाल ध्वंसावशेषों की खोज से और भी प्रबल हो उठी, जिनकी मूल्यवान और शोभामयी कारीगरी को 'छीणी' (तक्षणी) को उत्कृष्टतम कृतियों में गिना जा सकता है । फूलपत्तियों की सुघर कुराई को कर्नल टॉड ने 'निर्दोष' माना है। एक मन्दिर के गवाक्षों की नक्काशी और अन्य सजावट के विषय में उसने कहा है कि 'योरप में कोई भी कलाकार उनकी समता नहीं कर सकता। इस बात से आशङ्कित हो कर कि कहीं अंग्रेज-जनता उन आलेखों की सत्यता पर सन्देह करे, उसने मूल खाकों को अपने पुस्तक-विक्रेता के पास रख दिए थे कि जिससे यह ज्ञात हो सके कि आलेखक द्वारा उन में सुधार करने की अपेक्षा उनके साथ न्याय करने में भी कोताही (न्यूनता) रह गई है। चन्द्रावती परमारवंशी क्षत्रियों की नगरी है, जो विशाल अरावली श्रेणी के पश्चिमी मुखभाग पर स्थित है। इसके खण्डहर बहुत समय से जंगली जानवरों के आवास बने हुए थे और सद्यः प्राप्त सामग्री से अहमदाबाद का नगर बन कर खड़ा हो गया है । कर्नल टॉड के पास एक छः सौ वर्ष पुराना शिलालेख था जिसमें चन्द्रावती का उल्लेख था, परन्तु
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