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[ २५ (गांधीनगर) पि. ३८२००५ उसे उस स्थान पर ले गए जो अब जीवन और हलचल से भरा हुआ था, परन्तु कुछ ही वर्षो पहले जहाँ पर केवल एक भूखे कुत्ते के प्रतिरिक्त कोई नहीं रहता था । वह कहता है "मैं मुख्य बाजार में होकर निकला जहाँ के धनी निवासियों ने अपने खुले झरोखों पर मूल्यवान् रेशम, पार्चा और अन्य तरह-तरह के कपड़े लटका रखे थे; वे इनके द्वारा उस व्यक्ति का सत्कार और सम्मान कर रहे थे जिसको वे अपना हितैषी समझते थे । अन्दर मुझ से मिलने आए हुए लोगों में से दसवें हिस्से के लोग भी मेरे डेरे में नहीं समा रहे थे, इस लिए मैंने डेरे की बगलियाँ उठवा दीं । प्रत्येक क्षरण मुझे ऐसा लग रहा था कि यह डेरा हम लोगों के सिर पर गिर पड़ेगा क्योंकि प्रत्येक रस्से को सैकड़ों हाथ अपनी-अपनी दिशा में इस उत्सुकता से खींच रहे थे कि डेरे में 'साहब' और प्रोसवालों और माहेश्वरियों अथवा जैनों और वैष्णवों, इन दोनों सम्प्रदायों की पंचायत के बीच में जो कुछ बातचीत हो रही थी उसको वे देख व सुन सकें । हमने उस कस्बे के लिए बहुत-सी लाभप्रद भावी योजनाओं, करों में और कभी तथा व्यापारी माल के प्रयात-निर्यात में अधिक छूट देने के बारे में बातें कीं । मेरे उन भले मित्रों का मुझ से विदा होने को मन ही नहीं हो रहा था। मैंने उनके लिए भेंट व ' इत्र- पान' मँगवाए और वे हज़ारों शुभ-कामनाओं के साथ हमारे 'राज' की सदा कायमी के लिए प्रार्थनाएं करते हुए विदा हुए।" उसे इस अवसर पर जो आनन्द प्राप्त हुआ उसके बारे में उसने प्रायः चर्चाएं करते हुए कहा है कि उसके हृदय पर इसकी एक अमिट छाप अंकित हो गई थी ।
बूंदी पहुँचने पर उसकी पूरी खातिर की गई जैसी कि परम धनिष्ठता के नाते होनी चाहिए थी ( यहाँ तक कि उसके थाने के मार्ग पर एक ब्राह्मण ने पवित्र पानी छिड़का जिससे कुत्सित श्रात्मानों का उस पर कोई प्रभाव न पड़े)। बालक रावराजा रामसिंह का राजतिलक या राज्यारोहण समारोह सावण की तीज के दिन शुभ मुहूर्त में हुआ । 'इतिहास' के अन्त में 'निजी विवरण' के अन्तर्गत इस गौरवपूर्ण समारोह का बड़ा आकर्षक वर्णन किया गया है। बृटिश प्रतिनिधि ने हाड़ानों के नए राजा को गद्दी पर बैठाया, अपने दाहिने हाथ की मध्यमा अंगुली को पुरोहित द्वारा प्रस्तुत चन्दन और सुगन्धित तेल से तैयार किए हुए विलेप में डुबो कर राजा के ललाट पर तिलक किया, उसकी कमर में तलवार बाँधी और बृटिश सरकार की ओर से बूंदी के नए अधिपति का ग्रभिवादन किया । इसके अनन्तर बृटिश प्रतिनिधि ने स्वर्गीय राजा और वर्तमान राजमाता की इच्छानुसार मुख्य-मुख्य पदाधिकारियों के कार्य में पूर्ण सुधार की व्यवस्था की और राजस्व की प्राय तथा व्यय की जांच की प्रणाली चालू की,
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