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________________ ग्रन्यकर्ता-विषयक संस्मरण होल्कर सरकार से बातचीत का काम मुझे सौंपा गया। वह घड़ी बड़ी नाजुक थो। इस दरबार ने संरक्षण-सन्धि के लिए प्रार्थना-पत्र दिया था और मुझे अधिकृत किया गया था कि जनरल सर रफेन डॉनकिन (General Sir Rufane Donkin) के अधिकार में सेना का बड़ा दक्षिणी विभाग वाञ्छित संरक्षण प्रदान करने के लिए नियोजित करूं कि जिससे सन्धि का सुरक्षा-सम्बन्धी कदम पूरा हो सके। मुझ में यह विश्वास निहित हुआ ही था और मैंने केन्द्रीय स्थिति को मुश्किल से हाथ में लिया ही था कि कुछ दिन बाद ही पेशवा और भोंसला ने हमारे साथ सन्धि तोड़ दी और मुझे पता चला कि पेशवा के दूत होल्कर सरकार के नाम अपने स्वामी के हक में घोषणा करवाने के लिए विनिमय पत्र लिए धूम रहे थे । ऐसे क्षण में मैंने, यह सोच कर कि मित्रता का बहाना बनाने की अपेक्षा तो विरोध की घोषणा कर देना बेहतर रहेगा, तुरन्त ही एक पत्र अपने निजी दूत द्वारा तत्कालीन राजप्रतिनिधि रीजेन्ट बाई (Bae)' के नाम लिखा जिसमें मुझे प्राप्त हुई इस दोहरा चाल की सूचना से उसको अवगत कराया गया और आगे लिखा गया कि 'यदि अपनो सद्भावना के प्रमाणस्वरूप छत्तीस घण्टों की अवधि में आपने हमारी सरकार के साथ मित्रता-सन्धि की सार्वजनिक घोषणा न कर दी, आवश्यक सहायता न मैंगवाई, पेशवा के दूतों को दरबार से न निकाला और आपके शिविर के पास ही पड़े हुए पिण्डारियों के गिरोह पर आक्रमण न किया तो मैं आपकी सरकार को अपनी सरकार के विरुद्ध समझंगा'; साथ ही, मैंने अपने सन्देश-वाहक को आदेश दे दिया कि उक्त अवधि के समाप्त होते ही वह उसके दरबार को छोड़ दे। उसने ऐसा हो किया;-यह कदम बहुत बड़ी जिम्मेदारी का था और मैंने इसका भार भी अनुभव किया; परन्तु, मेरे इस. पाचरण पर सन्तोष व्यक्त करते हुए लार्ड हेस्टिग्स् के एक आवश्यक पत्र ने मुझे उस भारीपन से मुक्त कर दिया। मैं यहां पर यह भी बता दूं कि अपने दूत के वापस आते ही मैंने सर जॉन मालकम के पास अपने पत्रों की नकल भेजते हुए मत व्यक्त किया कि 'होल्कर की छावनी पर आक्रमण करने में यदि कोई विलम्ब किया गया तो वह हमारे हितोपाय का बाधक हो सकता है और आप स्वयं इसके निर्णायक होंगे।' दुर्भाग्य से उसने मेरे द्वारा ठुकराई हुई समझौता-वार्ता को दबी आवाज़ में पुन: चालू कर दिया जिसका पहला नतीजा तो यह हुआ कि लॉर्ड हेस्टिग्स् उससे सख्त नाराज हो गये और इसके थोड़े ही समय बाद छोटी-छोटी बातों में अपमान तथा उसकी छावनी के रसद. ' होल्कर राज्य की राजप्रतिनिधि रानी अहल्याबाई । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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