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पश्चिमी भारत की यात्रा दर पीढ़ी ऐसे राजा हुए हैं जिन्होंने धर्मतरु को बढ़ाया है। ऐसे राजा, जिन्होंने धर्म और न्याय का पालन किया है। उन्होंने इन्द्र के समान प्रजाओं पर कृपावृष्टि की जैसे बादल पानी बरसा कर पृथ्वी को उर्वरा बनाते हैं। इस वंश में परमप्रसिद्ध और महावीर गुल्लराज-नामक राजा हुआ जिसने सोमेश्वर के मन्दिर का विशाल मण्डप बनवाया और प्रसिद्ध 'मेघध्वनि' नामक महायज्ञ का अनुष्ठान भी उसीकी आज्ञा से हुआ । उसका पुत्र लालक्खिया (Lalackhia) और तत्पुत्र भाभक्खिया (Bhabhackhia) हा जो परमवीर था । भीमराज उसका मित्र था; यह राजा लाल जब सिंहासन पर बैठता था तो पूर्णकलाओं सहित चन्द्रमा के समान सुशोभित होता था। उसका पुत्र जयसिंह, इस पृथ्वी पर सुयश-सहित राज्य करके स्वर्गलोक को प्राप्त हुआ। उसके पुत्र राजसिंह ने सोमन्त कुमारपाल को गद्दी पर बिठाया और स्वयं राज-काज चलाने लगा। कुमारपाल का पुत्र श्रीरोहिणी महान् राजा हुआ; वह सूर्य के समान सभी सद्गुणों से मण्डित था। वह चन्द्रमा के समान परमप्रकाशमान श्रीधर-नाम से राजा हुआ। संसार का रक्षक, महाबली, सुप्रसिद्ध राजा श्रीभीम-भूपति व्यापारियों का विशेष ध्यान रखता था और उनका मान करता था।
. श्रीधर राजा का वर्णन चालुक्य-वंश में यह राजा रत्न के समान उत्पन्न हुआ, चन्द्रमा के समान प्रकाशमान, समस्त सद्गुणों का निधान, श्रीराम के समान कीर्तिमान्, कामदेव के समान रूपवान्, ऐसा था श्रीधर राजा । उसमें सभी सद्गुण केन्द्रित थे । वह देवताओं का पूजन और ब्राह्मणों का सम्मान करता था; वह वास्तव में सच्चा राजा था। जिस प्रकार ईश्वर वैकुण्ठ के सभी देवताओं में श्रेष्ठ है उसी प्रकार वह इस पृथ्वी के समस्त राजाओं में श्रेष्ठ और इन्द्र के समान सर्वोपरि था। वह ऐसा उदार था कि कामधेनु के समान सब की वाञ्छाएं पूरी करता था, अत्यधिक दयावान् और विनयसम्पन्न था। पुनः, जैसे राजहंस सब पक्षिों में श्रेष्ठ है वैसे ही वह अन्य राजाओं में सिरमौर था और उसकी कीत्ति इस पृथ्वीमण्डल पर चन्द्रमा की चांदनी की तरह फैली हुई थी।
श्रीसोमनाथ की स्तुति __ जैसे जल का प्रवाह मैल को धो डालता है वैसे पापों को कौन धो सकता है ? अपने भक्तों को सम्पन्न और सफल कौन बना सकता है ? ऐसे देव श्री सोमनाथ ही हैं !
यह मन्दिर तीनों लोकों में असाधारण है; भक्ति (ध्यान) के लिए अत्यन्त उपयुक्त; जिसका जन्म शुभ (घड़ी में हुआ) है वह इस देवता का ध्यान करता
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