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________________ प्रन्थकर्ता-विषयक संस्मरण [१३ एडम्स । इस कार्य के लिए लॉर्ड हेस्टिग्स के द्वारा उसे विशेष धन्यवाद प्राप्त हुए। यद्यपि इस योजना पर कार्य नहीं हुमा परन्तु शत्रु की गतिविधि ठीक-ठीक वही थी जिसको इसमें आशङ्का व्यक्त की गई थी और जिसकी रोक-थाम के लिए उपाय बताए गए थे। कर्नल एडम्स के विभाग के असिस्टेण्ट एडज्यूटॅण्ट जनरल ने अपनी एवं अपने कमाण्डर की ओर से कप्तान टॉड को लिखा कि "वास्तव में, आपके अतिरिक्त इस परिपत्र को और कोई अधिकारी लेखबद्ध नहीं कर सकता था।"१ ___ अपने देश की सेवार्थ जो जानकारी और सूचनाएं वह सामयिक रूप से देने में समर्थ होता था वे प्रायः उस सुसंगठित प्रणाली के द्वारा प्राप्त होती थीं जो उसने अपने खर्चे से एतद्देशीय भौगोलिक, आंकिक और पुरातात्विक सूचनासंकलन के लिए आयोजित कर रखी थी और इस कार्य का उसके कार्यालयीय या पदीय कर्तव्यों से कोई सम्बन्ध नहीं था। इस अभियान के अवसर पर प्रायः दस और बीस के बीच में लिखित रिपोर्ट प्रतिदिन उसके पास आया करती थीं और उनमें से संक्षिप्त समाचार निकाल कर वह प्रत्येक सेना-विभाग के मुख्यालय को भेजा करता था। जब युद्ध बन्द हो गया तो मारकुइस हेस्टिग्स् ने उसकी सेवाओं की प्रशंसा करते हुए महत्वपूर्ण शब्दों में व्यक्त किया कि 'इस सफलता में आपने मूलभूत योग दिया' और आगे कहा "अभियान को आगे बढ़ाने में मार्ग-दर्शन सम्बन्धी आपकी सेवाओं के विषय में प्रत्येक क्षेत्रीय जनरल से प्रशं. सात्मक प्रमाणपत्र प्राप्त हुए हैं ।' उसकी ये सेवाएं केवल कूटनीतिक और राजनीतिक प्रकार की ही नहीं थीं वरन् किसी अंश तक इनका आवश्यक सामरिक महत्व भी था । इस विषय में कर्नल टॉड के कागज-पत्रों में से प्राप्त उसीका लिखा एक स्मरण-पत्र पूर्णतया निर्णायक है "यदि कोटा के सम्पूर्ण विनियोज्य सैनिक साधनों को आमन्त्रित कर लेना राजनीतिक कदम था तो उनका प्रयोग करना एक विशुद्ध सामरिक कार्य था; और यदि, उस व्यक्ति (जालिमसिंह) के स्वभाव से परिचित होने के कारण मैं उसके अप • इस असाधारण परिपत्र ने दक्षिण को लूट से प्राप्त धन पर विवाद करते समय एक महत्वपूर्ण मालेख का रूप ले लिया था। कर्नल टॉड ने इसमें प्रस्ताव किया था कि 'चीतू को धिनष्ट करने के अभियान में उसे ही मुख्य प्राधार बनाया जाय मोर लॉर्ड हेस्टिग्स् के परामर्श-दाता ने इस पर पूर्ण विश्वास करते हुए यह व्यक्त किया था कि वह दोनों ही सेनाओं का सेनाध्यक्ष समझा जाता था। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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