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पश्चिमी भारत की यात्रा उपयोगी रूप में प्रयोग किया जा सकेगा क्योंकि यह स्थान सभो सैनिक विभागों के मध्य में था और वहाँ से सूत्र-संचालन एवं जानकारी के लिए आवश्यक केन्द्र बन गया था; वह कहता है "वास्तव में, मैं नर्मदा के उत्तर में सभी सेनाविभागों के संचालन में मार्ग-दर्शन करता था, जैसे जनरल डान्किन, मार्शल एडम्स और ब्राउन के विभाग ।" लॉर्ड हेस्टिग्स् और मोर्चे पर तैनात प्रत्येक जनरल ने उसकी सेवाओं की मूल्यवत्ता के लिए बारम्बार धन्यवाद अर्पण किए हैं। __ जब उसे ज्ञात हया कि करीम खाँ के बेटे की अध्यक्षता में पिण्डारियों की एक टुकड़ी उसके डेरे से तीस मील की दूरी पर 'काली सिन्ध' में छुपी हुई है तो उसने (कोटा की सहायक सेना के) दो सौ पचास तोड़ादार बन्दूकों वाले सिपाही अपने बत्तीस 'फायर लॉक' (टोपीदार बंदूकों वाले) सिपाहियों के साथ लगा दिए (जो स्वेच्छा से २५वीं, उत्तरी पद-सेना से उसके साथ पाए थे) और उनको शत्रु के १५०० आदमियों के पड़ाव को मार भगाने के लिए यह कह कर रवाना कर दिया कि "कुछ किए बिना न लौटना।" सहायक सेना वाले तो पीछे रह गए परन्तु बत्तीस आदमियों की छोटी-सी जमात ने अपने कमाण्डर का आदेश पालन करते हुए शत्रु-सेना पर आक्रमण करने में हिचक नहीं की और उनके १०० या १५० आदमी मार कर उनको खदेड़ दिया। इस अाक्रमण का नैतिक प्रभाव बहुत आश्चर्यजनक रहा । हमारे मित्रों द्वारा भी किसी पिण्डारी को अब तक कभी पीड़ित नहीं किया गया था; परन्तु, इस पराजित शत्रु-संघ से लूट में प्राप्त पशु, हाथी, ऊँट और अन्य मूल्यवान वस्तुएं दूसरे ही दिन कोटा के (रीजेन्ट) राज-प्रतिनिधि के समक्ष डेरे पर लाई गईं और उसने वे सब कप्तान टॉड के पास भेज दी जिसके सुझाव पर उन्हें बेच कर जो आमदनी हुई उससे कोटा से पूर्व में मुख्य मार्ग के बीच में पड़ने वाली नदी पर एक पुल बनाया गया। कप्तान टॉड के सुझाव पर ही इस विजय-स्मारक का नाम 'हेस्टिग्स् पुल' रखा गया। लॉर्ड हेस्टिग्स् इस पराक्रम से (जो इस प्रकार का एक ही नहीं था) इतना प्रसन्न हया कि उसने इसे 'पदक-योग्य' घोषित किया और जिन लोगों ने इसमें काम किया था उनको अतिरिक्त वेतन देकर पुरस्कृत किया।
करीम खाँ के महान् पिण्डारी-दल के विनाश के बाद, कप्तान टॉड ने एक 'गश्ती-पत्र' तैयार किया जिसमें चीतू के दूसरे विशाल दल को विनष्ट करने के लिए सम्मिलित प्रयत्न करने का प्रस्ताव था; उसने यह पत्र 'नरबदा' के उत्तर में प्रत्येक सेना-विभाग के अध्यक्ष के नाम सम्बोधित किया, जैसे, सर थॉमस हिसलॉप, सर विलियम ग्राण्ट केर, सर पार० डॉन्किन, और कर्नल
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