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________________ परिशिष्ट [ ५२५ चन्द्रप्रभ की प्रतिष्ठा हुई। श्री राज ठाकुर सामन्त भोज के राज्य में, उसका पुत्र असेरराज [पासराज] और उसकी पत्नी श्रीकुंमरदेवी [कुमारदेवी] जिससे श्रीलूनीराम [लूणसिंह] उत्पन्न हुआ। तेजपाल और बसन्तपाल दोनों भाई ललिता देवी' और पुत्र श्रीमाल [पोरवाल] जातोय थे, सं. २- ऊपर वाली चन्द्रप्रभ-मन्दिर की ही शिला पर रेवाचल' पर स्थित यह नेमीश्वर-तीर्थ विविध प्रकार के रत्नों से सुसज्जित है जिनको धनिक व्यापारी दूर-दूर के समुद्र-तटों से लाए हैं, सं० १२२७, श्रीशत्रुज और उज्जयन्ती [दोनों ही] महान् पूजा-स्थल हैं और यात्रियों के समूह निरन्तर यहाँ आते रहते हैं। इस देवस्थान का जीर्णोद्धार और इसकी सज्जा चालुक्य वीर' महाराज राज श्रो.....................""ने कराई। (त्रुटित) सं. ३ ~ मल्लिनाथ के मन्दिर का शिलालेख संवत् १२३४५ पौष मासे ६ तिथो श्रीगुरु गिरनार-तीर्थ पर वणिक् तेजपाल और वसन्तपाल ने अपने पिता राजपाल [प्रासराज] सहित श्रीपाटन के श्रीकुमारपाल के राज्य में तीर्थरत्न उज्जयन्ति-गिरि पर मेरु-मण्डलसदृश श्रीमल्लिनाथ, श्रीचन्द्रप्रभ और आदीश्वर के मन्दिरों का साथ-साथ निर्माण कराया। __सं. १२ (५० ४०३) गिरनार के शिलालेख सं. १ – महान् नेमनाथ के मण्डप के स्तम्भ पर सं० १३३३, वैशाष सुद १४, सोमवार। श्रीजिन सिरोबोद सूरी (Sri jin ' ललितादेवी हन दानवीर बन्धुनों में से किसी की पत्नी अथवा उनकी बहन या माता थी। [ललितादेवी वस्तुपाल की धर्मपत्नी थी।] • सौराष्ट्र के भूगोल में इस पवंत-श्रेणी का प्राचीन नाम रेवाचल मिलता है। 3 इस मन्दिर की सजावट में मुख्यतः जिस पाषाण-रत्न का प्रयोग हुमा है वह jaune antique नामक संगमर्मर से बहुत मिलता-जुलता है । सम्भवतः इन 'लक्ष्मीपुत्र पणिकों' ने इसको म्याँस हुरमज (Myas Hormus) अथवा लाल समुद्र के किसी अन्य बन्दरगाह से प्राप्त किया होगा जहाँ की खानों पर बाद में रोमन लोगों का दखल हो गया था। ४ इस मन्दिर का जीर्णोद्धार कराने वाला चालुक्य राजा कोई तत्कालीन प्रणहिलवाड़ा के राजवंश का ही छुट-भाई होगा । उस समय के राजपूत राजा साधारणतः जन प्रषवा बुष के धर्म को मानते थे, इस बात का एक प्रमाण इससे प्राप्त होता है। ५ संवत् १२३४ या ११७८ ई० । इससे ऊपर वाले शिलालेख को सही तिथि ज्ञात हो जाती है. जो १२०४ के स्थान पर १२३४ होनी चाहिए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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