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________________ ५१० ] देवपत्तनस्थित अनुवाद | यह लेख मूलतः सोमनाथ मन्दिर का है । जिनके जटाजूट से गङ्गा बहती है उन [ शिव ] को नमस्कार, जिनके जघनस्थल पर पार्वती विश्राम लेती है उन [ शिव को नमस्कार ]; पार्वती के पुत्र वीजीमराज ( Vizeem Raj ) | विघ्नराज ] को नमस्कार ! सरस्वती को नमस्कार, वह मेरी जिह्वा पर निवास करे । सूर्य और चन्द्रमा जिसके ग्राभूषण है वह और सब [ देवता ] मेरी रक्षा करें । ( शेष श्लोक छोड़ दिए गए हैं ) किनोज [ कनोज] का ब्राह्मण भाव बृहस्पति ( वृहस्पति) बनारस की यात्रा को गया । वह प्रवन्ती भोर धारा नगर पहुँचा जहाँ उस समय जयसिंह - देव राज्य करता था । परमार राजा और उसके समस्त परिवार ने उसको अपना गुरु बनाया और वह राजा उसको अपना भाई कहने लगा । जब सिद्धराज जयसिंह स्वर्ग (कुमार) पाल उसकी गद्दी पर बैठा; हुआ । कुँवर ( कुमार ) पाल तीनों उसने अपनी मुद्रा कोष श्रौर सर्वस्व सुमनो दुर्गा हि परिशिष्ट सं० ५ पृष्ठ ३४७ और ३६४ भद्रकाली मन्दिर के द्वार पर प्राप्त शिलालेख का ... ...... Jain Education International संसेव्या [मा] संवत् १२०७ सूत्रधा ... वीक्ष्य ...... यविनाशिनी । ता ॥ पवित्रीकृतसज्जनम् । 11 यत्तपः पावनं सस्मरुः पूर्वयमि शिवं प्रपूज्य त[ स्पवशरणम ]गमत् प्रणम्य तावुभौ भक्त्या शिरसा [ तस्वां ] तः पूजार्थ कुमारपालदेवोऽबाद् ग्रामं श्री ... 1 हरपादयोः । सिधारा तब वह चक्रवर्ती था; कुँअर भाव बृहस्पति उसके मन्त्रियों में प्रधान लोकों में कल्पवृच्छ (वृक्ष) के समान था । बृहस्पति के अधिकार में दे दिए और ... 446 ... ... ... ... 630 .......स्या विद्याराम भूणादित्य राज दीपार्थ घाणकमेकं सज्जनोप्यवात् .... *****... ... दण्डनाथ मतदानम श्रीजयको तिशिष्येण दिगम्बरगणेशिना । प्रशस्तिरीवृशी चक्रे श्रीरामकीर्तिना । टा दक्षिण पूर्वोत्तरं पश्चिमतः सरः पाली प्रभुः । ] ... ...... For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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