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________________ प्रकरण - २३; व्हेल मछली I rea ने हमारे आस पास सभी की आंखों पर मोहर लगा दी थी, केवल इब्राहीम नाखुदा और ऐसा ही पौराणिक नामधारी दूसरा मल्लाह अय्यूब या जोब (Job) जग रहे थे। जब हम हमारे प्राकाशीय मेजमानों को निहार रहे थे तो मुझे यह जान कर बड़ी प्रसन्नता हुई कि इब्राहीम मुख्य-मुख्य तारक-गुच्छकों के नामों से भी परिचित था। उसने 'हायदीस' (Hyades)' का नाम 'अरणी' बताया जिसका. अर्थ हिन्दवी में 'भैंस' होता है; परन्तु 'अरेबिया' में यह जानवर अपरिचित है इसलिए यही बात ध्यान में आती है कि प्रकाशमान, अल्दीबारां (Aldebaran), 'भैस की आँख' के नामकरण के लिए भी अरेबियन लोग बीजगणित की तरह हिन्दू ज्योतिषो के ही आभारी हैं। दूसरा दिन भी अच्छा रहा; हवा वैसी ही मौतदिल बनी रही। दोपहर के करीब जब हम ऐसे मौसम का प्रानन्द ले रहे थे और दूर-दूर तक कहीं भी जमीन दिखाई नहीं दे रही थी तो हमारे पट्टामार से अनुमानतः बन्दूक की मार के फासले पर एक विशाल व्हेल मछली अपने शिशुमार मछलियों के समुदाय सहित निकली, जो कई सौ गज तक फैला हुआ था । लगभग एक घण्टे तक हमारी नाव के समानान्तर तैरते हुए उसने अपनी स्थिति बराबर बनाए रखी और हम से एक गज भी आगे न निकलो; कभी डुबकी लगा जाती, कभी बाहर निकल पाती और उसके साथ की छोटी मछलियाँ उछलती-कूदती हुई चारों ओर सभी तरह के खेल खेलती रहीं, मानों छुट्टी मना रही हों। मेरे साथ के गंगावासी नौकर, क्या सिपाही, क्या खिदमतगार, सभी उसको देख कर आश्चर्यचकित रह गए; छोटी मछलियां तो उन्होंने गंगाजी में बहुत देखी थीं, परन्त इस समुद्री दानव का उन्होंने नाम तक नहीं सुना था। मैं व्हेल अथवा किसी छोटी मछली पर गोली दागने के विचार को न रोक सका और मैंने अपनी बन्दक मँगाई, परन्तु अन्त में मुझे इब्राहीम के 'इस प्रकार बचपना न करने के' प्राग्रह के आगे झुकना पड़ा; मुझे रोकने के लिए उसने ठीक उसी भाषा का प्रयोग किया जो स्वर्गीय बर्कहाई के वफादार बेडूइन (Bedouin) पथ-प्रदर्शक प्राइद (Ayd) ने उस समय किया था जब उसने अकाबा (Akaba) की खाड़ी पार करते समय किसी शिशुमार पर गोली चलाने का इरादा किया था 'इन्हें मारना अज़ाब का काम (नियम-विरुद्ध) है क्यों कि ये आदमी की दोस्त हैं और कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाती।' __ मैं अपने माझियों में से दो के पौराणिक नाम बता चुका हूँ, एक इब्राहीम ' सात तारों का गुच्छक । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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