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प्रकरण - २२, जाडेजा नाम की उत्पत्ति कारण बन जाती हैं। इस राजा के सात पुत्र हुए जिनमें से छः एक-एक करके किसी महामारी के प्रकोप से मर गए और सातवाँ किसी सन्त के प्रभाव से बच गया। इन देशों में सर्वत्र हो गम्भीर बीमारी में 'झाडना' दिलाने की प्रथा है। इसमें एक सिद्धि-प्राप्त व्यक्ति (जो प्रायः 'जोगी' होता है) अपना मोर-पंखों से बना हुमा 'झाड़ा' बीमार पर हिलाता है और उसकी रोग-मुक्ति के लिए मंत्र बोलता रहता है। इसी प्रक्रिया से सुम्मा सरदार का रोग-मुक्त पुत्र बाद में सदा के लिए 'झाड़े जा' कहलाने लगा और उसके वंशज भी इसी नाम से प्रसिद्ध हए जिनकी अब बहत सी शाखाएं फैल गई हैं। हाल' की पुत्री का विवाह सूमरा जाति के ऊमर' नामक पड़ोसी राजा के साथ हुआ था, जिसका निवासस्थान मोहब्बत-कोट था, जो बाद में उसी के नाम पर ऊमर-कोट कहलाने लगा। इस विवाह के अवसर पर ही कोई झगड़ा खड़ा हो गया और सूमरा ने सिन्ध के राजा को अपने किले में कैद कर लिया। ज्यों ही इस अपमानजनक कृत्य की सूचना सामनगर पहुँची त्यों ही सुम्माओं ने अपने भाई-बन्धुत्रों को एकत्रित करके उसकी मुक्ति कराने के लिए प्रस्थान किया। सूमरा भी गाफिल नहीं थे और दोनों जातियों के पचास हजार मनुष्य मोहब्बत-कोट की दीवारों के नीचे मरनेमारने के लिए सन्नद्ध होकर जूझ पड़े। विजय सुम्मों की हुई यद्यपि उनके दस हजार प्रादमी, जिनमें उनका राजा भी शामिल था, मारे गए; सूमरों को अपनी जाति के सात हजार मनुष्यों के जीवन और राजधानी से हाथ धोना पड़ा। इस दुर्घटना में, जिसने रंग में भंग कर दिया था, नव-वधू भी अन्य सूमरा स्त्रियों के साथ सती हुई और चिता पर चढ़ते समय उन सब ने यह शाप दिया 'जो भी कोई जाड़ेचों की लड़की से विवाह करेगा वह फूले-फलेगा नहीं' और तभी से इस वंश की लड़कियों का नारियल ग्रहण करने को किसी की इच्छा नहीं होती । इस प्रकार, उन्हीं के इतिहास के अनुसार, जाडेचों में बाल-वध की अप्राकृतिक प्रथा का प्रारम्भ हुआ जो आज तक उनमें चाल है; फिर भी, वॉकर [Walker] जैसे विश्व-प्रेमी ने भी, जिसने इस प्रथा को समाप्त कर देने के लिए जी जान से प्रयत्न किए थे (और जिसको यह भ्रम हो गया था कि वह कच्छ के महिलासमाज का उद्धारक था) इस [मूल की ओर कोई संकेत नहीं किया है यद्यपि सिद्ध करने के लिए इतना ही पर्याप्त है कि यह प्रथा छः शताब्दियों से निरन्तर
. हैदराबाद [सिन्ध) के उत्तर में एक हाल नामक नगर है, जो निस्सन्देह इसी राजा के नाम
पर बसा है। ऊमर-कोट और सूमरा वंश की उत्पत्ति के लिए मैं पाठकों को 'राजस्थान का इतिहास पढ़ने का अनुरोध करूंगा।
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