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पश्चिमी भारत को यात्रा वध-कार्य सम्पन्न करने के कारण तभी से मुनई को 'कायर मुनई' कहने लगे। ऊनड़ की पत्नी, जो 'राजकुमारी' कहलाती थी, उस समय गर्भवती थी इसलिए वह भाग कर अपने पिता की शरण में चली गई । उसने एक सेना भेजी जिसने मुनई और उसके भ्रात-घाती भाइयों को सिन्ध से बाहर निकाल दिया, जहाँ भ्रातृ-वध के उपरान्त भी उनको रहते बारह वर्ष बीत चुके थे। कायर-मुनई, उसके भाई और साथी कच्छ में भाग गए और वहाँ काठियों पर आक्रमण करके उनको कंथकोट से निकाल दिया; कंथकोट के पास ही मुनई ने एक नगर बसाया और उसका नाम 'कायरा' रखा। उसके बड़े भाई मोर को कण्टरकोट (KunterKote) प्राप्त हुआ और दूसरों ने बाबरियों, जेठवों तथा अन्य जाति के लोगों से भूमि छीन ली।
तो, इस प्रकार सिन्ध की सुम्मा जाति कच्छ प्रान्त में पहले-पहल बसी और फिर उसकी बहुतसी शाखाएं फैल गईं, जिनमें सिन्धु के डेल्टा से खम्भात की खाड़ी तक चावड़ा सब में प्रमुख थे; और इसी कारण, हम फिर कहते हैं कि, इस सीमा में जो देश थे उनको चावराष्ट्र (चावड़ा राष्ट्र ?) अथवा सौराष्ट्र नाम प्राप्त हुआ, जिसको यद्यपि हिन्दू भूगोल-शास्त्रियों ने तो केवल प्रायद्वीप तक ही सीमित रखा है, परन्तु ग्रीक और रोमन भूगोलवेत्ताओं ने अधिक सूझ-बूझ के साथ 'सायराष्ट्रीन' नाम से उस समस्त भू-भाग का बोध कराया है, जिसका ऊपर वर्णन किया गया है । सात पीढ़ियाँ बीतने तक 'सुम्मा' का नाम 'जाडेचा' में परिवर्तित नहीं हुआ था और फिर सामनगर से दूसरी बस्ती ने आकर सन् १०७५ ई० में इस प्रथम विजय के सभी चिह्नों को नष्ट कर दिया।
लाखा गोरार का वंश, जाम ऊनड़ की मृत्यु के उपरान्त जन्मे उसके पुत्र तमाच (Tamach) द्वारा सामनगर में ऊनड़ को सातवीं पीढ़ी में हाला सुम्मा तक तो बढ़ता रहा, परन्तु उसी समय एक ऐसी घटना हो गई कि गोत्र-संज्ञा बदलने के साथ-साथ जाड़ेचों में बाल-वध की कुप्रथा भी चालू हो गई । हाल के समय में ही (कुछ लोग कहते हैं उसके भाई वीर के समय में) जाड़ेचा नाम का आविष्कार हुआ था, जिसके मूल में एक अत्यन्त साधारण-सी घटना थी-ऐसी छुट-पुट घटनाएं भी राजपूतों में किसी वंश का नामकरण करने के लिए पर्याप्त
है-कभी कभी परतों के भीतर पत्थर भी रख देते हैं । इस प्रकार यह ठोस गेंद और मजबूत लकड़ी के बल्लों का खेल आज कल को 'हॉकी' का पुराना रूप हो सकता है । जो अब तक गांवों में प्रचलित है । बल्ले को 'गेडिया' और गेंद को दड़ी कहते हैं। गेडिया प्रायः 'हॉकी स्टिक' की तरह ही एक सिरे पर मुड़ा हुमा होता है।
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