SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 606
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रकरण - २२; जाडेचों का समय-क्रम; वंशावली - लेखन [ ४७५ संवत् ११०६ में हुआ; और यदि हम 'पालियों के शिलालेखों को मानें तो यह संवत् १११६ आता हैं। इस प्रकार हमें दो महत्त्वपूर्ण तिथियों का पता चल जाता है – पहली, जाम ऊनड़ की १०५३ ई०, जब इसलाम में परिवर्तन और पैतृक नाम में बदल की घटनाएं साथ-साथ हुई; दूसरी, चूड़चन्द की जो ६०४ ई० में गूमली के राम चामर का समकालीन था । जेठवों के इतिहास में यह भी कहा गया है कि इस राजकुमार का विवाह कंथकोट (Cath Kote) के तुलाजी काठी की पुत्री से हुआ था जिससे एक और समकालीन तिथि का पता चलता है अर्थात् sustice जाति इस प्रायद्वीप में कम से कम एक हजार वर्ष पूर्व श्राजमी थी । और यहीं पर समाप्ति नहीं हो जाती; अभी हम एक और महत्वपूर्ण निष्कर्ष पर पहुँचते हैं, वह यह कि युदु-सुम्मा, काठी, चामर या जेठवा, झाला, बाल और हूर इत्यादि, ये सब 'रक्त' और 'वंश' के लिहाज से समान कोटि के थेआपस में बेटी व्यवहार आदि में आजकल के राजपूतों की तरह कोई भेद-भाव नहीं बरतते थे; इसलिए हम यह मान लेते हैं कि वे लोग, जैसा कि एरियन और कॉसमस आदि ने स्थान-स्थान पर लिखा है, उच्चतर एशिया से समयसमय पर प्राई हुई जातियों के टोलों में से थे । यह संतोष लेकर कि अब की तरह सन् ६०४ ई० में भी ये लोग सिन्ध में राज्य करते थे, अब इस जाति के इतिहास में खोज के लिए और पीछे जाने से कोई नतीजा नहीं निकलता । 'साम्ब' नामकी उपाधि चूड़चन्द के पुत्र के राज्यसमय में बदल गई थी जब कि उनका धर्म भी ( चाहे वह बौद्ध हो अथवा उनके देवत्व प्राप्त पूर्व पुरुष कृष्ण का हो ) इसलाम में परिवर्तित हो गया था । इस सम्बन्ध में हमें वंशावली -लेखन की एक विचित्र कला का पता चलता है, जो इस जाति के इतिहास में समाविष्ट हुई है । मैं सामनगर के राजा चूड़चन्द के समय अर्थात् संवत् ६६० या ६०४ ई० की याद दिलाता है । उसके पुत्र साम यदु के पाँच लड़के थे जिनके नाम श्वसपति, नरपति, गजपति, भोमपति और समपति थे । इस समय से लगभग दो शताब्दी पूर्व खलीफों ने सिन्ध पर विजय प्राप्त कर ली थी और भरोर के राजा दाहिर तथा मुसलिम सेनापति मुहम्मद-बिनकासिम की प्रसिद्ध कहानी से भारतीय इतिहास का प्रत्येक पाठक अच्छी तरह परिचित है । धर्म परिवर्तन और विजय दोनों मिली हुई एक ही चीज़ थी और जब सामनगर के राजा साम्ब के वंशजों के सामने इसलाम और हिन्दुत्व की ' हिजरी सन् ६५ प्रर्थात् ७१३ ई०; देखिए 'एनल्स ऑफ राजस्थान' भा० १, ५० २३१, परन्तु, सिन्ध की प्रतिम विजय कोई घाधी शताब्दी बाद हुई थी। वही० पु० २४४ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy