________________
प्रकरण - २१, माण्डवो
.. [ ४५६ को डाक गजनी (Gujni) भेज दी है और दूसरी मैंने यहां से भेजी है। वृद्ध राज्यपाल आदरणीय जेठाजो ने एक जीनसवारी का घोड़ा और कुछ घुड़सवार पहली मंज़िल के लिए मेरे हवाले कर दिए हैं। में आज ही साँझ पड़े रवाना हंगा और, क्योंकि फासला पचास मील से कम है, कल प्रात:काल 'छोटी हाजरी' के समय वहाँ पहुंच जाऊंगा। ___ मैंने नगर की गलियों में घूमने और आस-पास के कुछ प्राचीन दृश्यों को देखने में समय पूरा किया। यह पांचहजार पक्के घरों का बड़ा कस्बा है जिसमें बीस हजार मनुष्यों की आबादी है। जब यह उन्नति के शिखर पर था तो इस बन्दरगाह पर आवागमन करने वाले जहाजों की संख्या चार सौ से कम नहीं थी और वे प्रायः यहाँ के धनी व्यापारियों के निजी जहाज थे । परन्तु, सभी जगह का व्यापारी धन्धा ठंडा पड़ जाने के कारण मांडवी पर भी असर पड़ा है और अरब व अफ्रीका जाने वाले कुछ थोड़े से जहाजों को छोड़ कर किनारे-किनारे पर मलाबार तक का व्यापार ही सीमित रह गया है। राव गोर के समय में मांडवी उन्नति की चरम सीमा पर पहुँचा हुआ था क्योंकि वह स्वयं समुद्री अभियानों में रुचि लेता था और उनसे अधिकाधिक लाभ प्राप्तकरने के अभिप्राय से उसने डच कारखाने के नमूने का एक महल इस बन्दरगाह पर खड़ा कर लिया था; परन्तु, पिछले भूचाल के प्रभाव से पश्चिमी भारत का कोई भी हिस्सा अछूता नहीं रहा
और राव गोर का यह महल भी हिल कर टुकड़े-टुकड़े हो गया। राव ने एक डाक-यार्ड [जहाज बनाने का कारखाना भी बनवाया था जिसमें अपने जहाजों के निर्माण की वह स्वयं देख-रेख करता था। पीटर महान के से पूर्ण उत्साह के साथ उसने निश्चय किया था कि उसके कारखाने में बना हुआ जहाज उसी की अध्यक्षता में उसके ही प्रजाजनों से भर कर इङ्गलैण्ड तक समुद्र को चीरता हुमा चला जायगा । यात्रा हुई, वह सुन्दर जहाज वर्षाऋतु में मलाबार के तट तक पहुँच कर सुरक्षित लौट आया; परन्तु, नाखुदा सच्चे नाविक ने जहाज और उसका भार काली देवी (Venus) के भेट चढ़ा दिया, और सबसे बढ़ कर आश्चर्य की बात तो यह है कि उसकी कारीगरी और योजना की सम्पूर्ति के बदले में राव ने उदारता-पूर्वक उसको क्षमा प्रदान कर दो। अब भी खारी
और लंगर पर दो और तीन सौ के बीच जहाज हैं, जिनमें से एक तीन मस्तूल वाला जहाज कच्छ के राव का है। राव गोर और भावनगर के गोहिल राजा दोनों में ही हमको मानवीय मस्तिष्क के लचीलेपन और परिस्थितियों के अन
' प्रातराश (कलेवा)।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org