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________________ [ ४५७ ध्यान नहीं दिया क्योंकि इन स्वेच्छाचारी प्रदेशों में देश-प्रेम और जिसको हम स्वदेशाभिमान कहा करते हैं, वह एक ही बात नहीं है । २ इन विभिन्न मण्डलियों से मैं और भी विचित्र दृश्यावली में पहुँचा - यह थी बन्दरगाह पर एकत्रित जहाजों की छटा - ये जहाज या तो 'सोफाला' के स्वर्ण तट' को जाते हैं या 'सौभाग्यशाली अरबी मसाले वाले' तट को; इनमें से लगभग बीस नौकाएं अफ्रीका के काले सपूतों से भरी हुई थीं । इन नौकाओं का भार औसतन छः सौ कण्डी अथवा एक सौ पचीस टन था और प्रत्येक में तोपें भी रखी हुई थीं, जो अब बम्बई जलसेना द्वारा जोग्रामीज़ (Joamees ) को समाप्त कर देने के सराहनीय प्रयत्नों के फलस्वरूप केवल सलामी के काम आती हैं । अरबी समुद्र-तट के ये जल-दस्यु बहुत समय से इस समुद्र के अभिशाप बने हुए थे और लूट के साथ हत्या के दोहरे अभिप्राय को मिलाते हुए बन्दियों को कभी जीवित नहीं छोड़ते थे। उनका कहना था 'बिना खून के तुम्हारा माल लेने के माने यह होंगे कि हमने चोरी की, लूट नहीं; और कब्जे में प्राए हुए काफ़िरों को [ जिन्दा] छोड़ कर उनकी रोटी खाना मज़हब के खिलाफ़ है ।' आशा की जाती है कि बम्बई सरकार के उत्साहपूर्ण प्रयत्नों ने व्यापार जगत् के इस महान् रोग को सदा के लिए नष्ट कर दिया है । प्रकरण — २१; अरबों के अफ्रीकी दास Jain Education International अरबी जहाजों की बनावट, मैं समझता हूँ, वैसी ही है जैसी हिरम ( Hiram ) के समय में थी । इनमें से अधिकांश पर किरमिची तिरपाल डण्डों पर फैला रहता है जो नौका को प्रथम गति से खेने के लिए पर्याप्त होता है । मनुष्यों की तरह उनकी हर एक चीज़ भी काले रंग की थी और जहाज के अगले हिस्से में सैंकड़ों मिट्टी के घड़े लटक रहे थे, जो नाविकों के पराक्रम के चिह्न थे । जब से नर-मांस व्यापारिक वस्तु के रूप में बन्द हुआ है तब से 'स्वाल' और जंजीबार भी जो नक्शे में सोफाला और जिंग्यूबार Sofala and Zing uebar नाम से दिखाए गए हैं। अधिक श्रावागमन के स्थान नहीं रहे हैं । यह गैर-कानूनी व्यापार अभी तक बिलकुल बन्द नहीं हुआ है और थोड़ा बहुत सफोला अफ्रीका के पूर्वीय समुद्री तट पर स्थित बन्दरगाह इसी है । नाम की नदी के मुहाने पर स्थित होने के कारण इसका नाम 'सफोला' पड़ा है । १५०५ ई० में पुर्तगालियों के अधिकार में आने से पूर्व यह एक सुप्रसिद्ध मुसलमानी नगर और व्यापारिक केन्द्र था । यहाँ प्रायः एक हजार व्यापारिक नावों के ठहरने योग्य व्यवस्था थी । मिल्टन ने अपने 'पैरैडाइज लॉस्ट' (११; :६६-४०१ ) में इसको सालोमन द्वारा वर्णित 'सोफिर ' ( Sophir) बताया है, परन्तु यह अनुमान सत्य नहीं है । - E. B. XXII; p. 246 मस्कॅट बन्दरगाह । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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