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पश्चिमी भारत की यात्रा
थी, बिलकुल छोड़ दिया और सिन्ध को लौट गया। वहीं उसने दो विवाह किये, एक धमरका (Dhumarka) के जाड़ेचा की पुत्री से और दूसरा उमरकोट के सुमरा के यहाँ । इस प्रकार यह वंश मुसलमान हो गया और अभी तक सिन्ध में दोबा धारजी ( Doba Dharjee) की भूमि पर इन लोगों का अधिकार है ।
सालामन की कवयित्री चौहान पत्नी का पुत्र प्रायद्वीप में लोट आया घोर रामपुर में बस गया, जहाँ उसके वंशज कितनी ही पीढ़ियों तक रहते रहे । सब, क्योंकि गूमली संवत् ११०६ में नष्ट हो गया था और ११६६ में सीहोह संवत् चालू हुआ था इसलिए हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि स्वाभाविकतया मालामन के पुत्र और सिंह के पौत्र ने नई राजधानी स्थापित करके गूमली के अन्तिम राजा के नाम से उसके नये संवत् को स्मरणीय बनाया होगा ।
इस घटनाप्रधान कहानी का अन्त इस प्रकार है । जेठवा उस समय तक रामपुर में जमे रहे जब तक कि जाम ने उन्हें वहाँ से हटा न दिया । इस घटना के बाद वे समुद्री तट पर चले गये और वहाँ पर अस्थायी निवास ( अथवा 'छाया' ) कायम कर लिया। उनके भवनों ने धीरे धीरे नगरी की संज्ञा ग्रहण कर ली, जो अब तक भी 'छाया' नाम से प्रसिद्ध है; और यद्यपि बाद में उन्होंने सुदामापुर की तरफ अपनी वर्तमान राजधानी पोरबन्दर भी खड़ी कर ली परन्तु जेठवा राजाओं का राजतिलक अब भी 'छाया' में ही होता है । इस अन्तिम परिवर्तन के बाद ग्यारह पीढ़ियां बीत चुकी हैं। वर्तमान राणा खेमजी कहलाते हैं और जाम के भाणेज ( बहन का पुत्र ) हैं । इनके दो पत्नियाँ हैं, एक तो ढाँक के बल्हों (Bhalla ) की पुत्री है और दूसरी चावड़ा रामपुर (Chaora Rampoor) के झालों की । इस काठी, कुनाणी ( Cunani ), मेर, बल्ह, झाला और जाम शाखाओं के सम्मिश्रण में भी 'कुँवर' रक्त निःशेष नही हो गया है; और यद्यपि सौराष्ट्र की वंशावलियों में उनकी गणना छत्तीस राजकुलों में की गई है, परन्तु हम यह निश्चय कह सकते हैं कि केवल स्थिति और परिस्थितिवश हो ये लोग हिन्दू बन गये हैं । कपिध्वज अथवा 'हनुमान् की प्राकृति-युक्त झण्डा' अब भी उसके वंशजों के आगे-आगे सभी जलूसों या सवारियों में चलता है और जब कभी जेठवा सुसराल जाता है तो पूंछड़ी या दुम उनकी पत्नियों के सगे-सम्बन्धियों में 'मजाक', बदनामी या मनोरंजन का विषय बन जाता है । हर्षद [ माता ] अब भी उनकी कुलदेवी है, परन्तु बरड़ा की पहाड़ियों में बने हुए उसके मन्दिर में सर्वसाधारण का प्रवेश निषिद्ध है श्रतः मीश्रानी ( Meannee) में एक नया मन्दिर बन गया है । यहीं हर्षद की यात्रा में
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