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प्रकरण - १६ गणपति-मन्दिर विभिन्नताएं प्रदर्शित हुई हैं कि मैंने इससे पूर्व कहीं नहीं देखीं; जैसे सिंह, नरसिंह, ग्रास (Gras) [ग्राह ?] या ग्रिफिन (Griffin)' तथा वानरों की प्राकृतियां एवं ग्रीक प्रणाली की स्तम्भाधार पुतलियों (Caryatidae) को अचूक प्रतिकृतियाँ और भग्न घटचक्रादि (Gatachue)। इन मूर्तियों में प्रत्येक तरह की भाव-भङ्गिमा दृष्टिगत होती है और कुराई का काम इतना सुन्दर है कि उनको हमारे किसी भी अत्यन्त प्राचीन सैक्सन गिर्जे में स्थापित करना अनुचित न होगा। मन्दिर में कोई भी ऐसा चिह्न प्राप्त नहीं है कि जिससे यहाँ की आराध्य प्रतिमा का अनुमान लगाया जा सके, परन्तु देव-कक्ष के बाहरी शिल्प में सर्व-संहारक महाकाल के लिंग बने हुए हैं, जो इस निर्णय पर पहुँचने में पर्याप्त सहायक हैं कि यह मन्दिर या तो शिव का रहा होगा अथवा जेठवों की कुलदेवी हर्षद-माता का।
थोड़ी दूर पर दक्षिण-पश्चिम में गणपति का मन्दिर खड़ा है, जो हिन्दू विश्व-देवतागण में प्रमुख है और जिसका शुण्डवाला मस्तक बुद्धि का प्रतीक है। इस मन्दिर की बनावट अपने ढंग को एक ही है; कोठरियों के चारों ओर खम्भों के स्थान पर दीवारें और चौखटदार खिड़कियां हैं तथा छत अण्डाकार है। पास ही के एक कक्ष में मध्य-पट्ट पर नव ग्रहों की मूर्तियां बनी हुई हैं, जो मनुष्य के भाग्य पर शासन करते हैं।
इस 'बुद्धि' के मन्दिर के पास ही उत्तर में 'ज्ञान' का मन्दिर लगा हुआ है, जो नास्तिक बूद्ध के अनुयायियों से सम्बद्ध है। इसकी बनावट भी इस धर्म के उन सभी मन्दिरों से भिन्न है, जो अब तक मेरे देखने में आए हैं। इसमें एक दूसरे से सटे हुए चार मण्डप हैं जो खम्भों पर टिके हुए हैं जिनके शीर्ष यद्यपि उपरिवर्णित स्तम्भ-शीर्षों जैसे नहीं हैं और इस सम्प्रदाय के सिद्धान्तों से भी मेल नहीं खाते परन्तु यह स्पष्ट है कि इनका प्रकार उसी भावना पर आधारित
' ऐसा कल्पित जन्तु जिसका शरीर और पंजा शेर के जैसा और चोंच व डेना बाज़ के
समान हो। इसका आविर्भाव एशिया में हुआ और बाद में प्राचीन भवनकला में सजावट का अंग बन गया । सन् १८८० में फ्लीट स्ट्रीट और स्ट्रेण्ड (Strand) के बीच में जो स्मारक (The Griftin, Temple Bar) के स्थान पर बनाया गया है वह नगर के 'परिचय-चिह न' (Coat of Arms) के आधार पर है। २ भवन-कला में मेहराबों का प्राधार बनी हुई स्त्री-प्राकृति । कहते हैं, कि (Caryatidae) नाम ग्रीकों द्वारा Caryae लोगों की पराजय का स्मरण कराता है, जो स्त्रियों को चुरा ले जाते थे। एथेन्स (ग्रीक की राजधानी) में Erachthaum पर बहुत अाकर्षक पुतलियाँ बनी हुई हैं ।-N. S. E; p. 244
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