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पश्चिमी भारत की यात्रा झालावाड़ का झाला सरदार और अणहिलवाड़ा के राजा भोला भीम प्रथम का सामन्त था। दिल्ली के सम्राट पृथ्वीराज के इतिहास [रासो] में इसका नाम बड़ी प्रतिष्ठा के साथ लिखा गया है । इसी राजा भोला भीम द्वारा मारे गए अपने पिता साँभर-नरेश-सोमेश की मृत्यु का बदला लेने के लिए पृथ्वीराज ने उसी वर्ष पहली बार तलवार उठाई थी; पृथ्वीराज का सामना करने के लिए जो वीर सामन्त एकत्रित हुए थे उनमें राणिंगदेव का नाम मुख्य है और यह अनुमान इस सत्य का प्रमाण है कि झाला सरदार ने अपने महाराजा के दरबार में पहुंचने के लिए झालावाड़ से प्रस्थान करके मार्ग में इस पवित्र पर्वत की यात्रा के अवसर का भी लाभ उठाया था।'
खंगार के महलों से 'हाथी टूक' तक तो उजाड़ ही उजाड़ है, परन्तु यहाँ से वृक्षावली पुन: प्रारम्भ हो जाती है और जूनागढ़ शहर के नीचे के दरवाजे तक में इस दृश्य का आनन्द लेता ही गया; वहीं जंगल में एक किनारे पर हमारा डेरा लगा हुआ था; जब मैं वहाँ पहुँचा तो थका हुआ अवश्य था, परन्तु यात्रा के कारण चित्त प्रसन्न था क्योंकि गिरनार अर्बुद से समानता भले ही न कर सकता हो फिर भी इसके चरागाह, झीलें और झरने, विविध वनस्पति और मन्दिरों का बहुमूल्य गौरव आदि इसकी अपनी विशेषताएं हैं । यद्यपि मेरी तरह बहुत से लोगों को लगेगा कि यहाँ के धूधले और भूरे पत्थर और भारी ग्रयानिट के स्तम्भ प्राचीनता का गौरव लिए हुए वहाँ के अधिक सजीले संगमर्मर और बारीक कारीगरी की तुलना में नहीं ठहर सकते, परन्तु आँखों के सामने क्रमशः बढ़ता हुआ सागर का विस्तार जिस भाव-सामग्री को यहाँ जन्म देता है, मरुस्थली के रेतीले मैदानों में उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।
मैं अब तक विविध देशों की यात्राएं कर चुका हूँ; (स्विजरलैण्ड में) रिगी (Righi)' पर्वत की चोटी पर से हेल्वेटियन (Hclvetian) पाल्प्स् के बर्फीले शिखरों पर सूर्योदय का दृश्य देखा है और ध्वस्त तोरतोना (Tortona)" के पीछे से शरदाकाश में अस्तंगत सूर्य की गुलाबी किरणों से हिमाच्छादित एपीनाइन्स (Appnines) को आलोकित होते हुए भी निहारा है; मॉण्ट ब्लॅङ्क
१ देखिए पीछे पृ०२१० । २ यह लुसिरिन (Lucerene) और जूग (Zug) नामक झीलों के मध्य में स्थित है। 3 फ्रांस में १७९८ ई० में जो गणराज्य स्थापित हुआ था वह 'हैल्वेटिक रिपब्लिक' (Hel
vetic Republic) कहलाता था। ४ स्पेन में एक रमणीय पर्वतीय स्थान ।
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