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________________ प्रकररण [ ३७६ इस 'पुराने किले ' ( जूनागढ़) में ऐसे ही कुछ देखने योग्य पदार्थ हैं; वैसे, अब यह बिलकुल जंगल हो गया है, जिसमें शरीफे के पेड़ों की मुख्यता है ! Stables - १७; खापरा चोर की गुफ़ा उत्तर-पश्चिम वाले मार्ग से उतरते हुए बाहर की ओर मैंने एक गुफा देखी जो यात्रियों के लिए बहुत से अन्य दर्शनीय स्थलों में से एक है। एक उठे हुए और कुछ फैले हुए पठार को कुरेद कर कुछ बड़े बड़े भोंडे से कक्ष बना दिए गये हैं, जिनको कल्पना और परम्परागत बातों ने कितने ही निवासियों के नाम प्रदान कर दिए हैं। एक कक्षावली तो पाण्डवों के नाम से है, दूसरी खापरा चोर की है, जो प्राचीन काल में इस क्षेत्र का राबिन हुड' था परन्तु उसका पराक्रम हमारे नायक से बढ़ कर था क्यों कि यही वह व्यक्ति था जो कलश में रखे हुए स्वर्ण की चोरी करने के लिए बाड़ौली के मन्दिर के शिखर पर चढ़ गया था । खापरा की गुफा कितने ही भागों में विभक्त है; एक उसका [बैठने-उठने का ] बड़ा कक्ष, दूसरी रसोई और तीसरो अश्वशाला इत्यादि । यह साठ फीट लम्बा और साठ फीट चौड़ा वर्गाकार है, जो भारी, वर्गाकार और लगभग नौ फोट उंचे सोलह खम्भों पर टिका हुआ है । उसको यों बताया जा सकता है— I Jain Education International • राबिन हुड का नाम अंग्रेजी उपाख्यानों में बहुत आता है। प्राचीन वीरकाव्यों में भी उसका चित्रण एक अलमस्त बाहरबाट के रूप में किया गया है जो धनिकों को लूट लूट कर निर्धनों की सहायता किया करता था । ऐतिहासिक आधार पर तो उसके अस्तित्व के कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं परन्तु, चौदहवीं शताब्दी की रचनाओं तक में उसका उल्लेख अवश्य मिलता है, यथा Piers Plowman नामक १३७७ ई० की रचना में 'rhymes of Robin Hood' का उल्लेख है - N. S. E., p. 1063 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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