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प्रकरण - १७; जूनागढ़
[ ३७३ अस्वास्थ्यकर अवश्य हो गए हैं, क्योंकि यहां के निवासियों को धनी वनस्पतियों में निरन्तर ही अशुद्ध वायु में श्वास लेना पड़ता है । इसका हमको भी अनुभव हुआ, क्योंकि मौसम के विचार से वर्ष का सबसे अधिक स्वास्थ्यदायक काल होने पर भी बहुत थोड़े दिनों के पड़ाव में ही हमारे साथियों में बहुतों को बुखार हो गया । पुराने जमाने में यह नगर सात कोस अथवा चौदह मील के गिरदाव में था और वर्तमान घेरे से, जो अब पाँच मील से अधिक नहीं है, बहुत दूर तक फैला हुआ था; परन्तु, यह सिकुड़ा हुआ क्षेत्र भी इस आबादी के लिए बहुत ज्यादा है, जो पाँच हजार प्रात्मानों से अधिक को नहीं है। अधिकतर लोग नागर और गिरनारा ब्राह्मण जाति के हैं; इतनी ही संख्या में मुसलमान होंगे और शेष में खेतिहर तथा कारोगर लोग हैं, जैसे अहीर, कोली आदि; राजपूत कोई होंगे तो बहुत थोड़े। 'जूनागढ़' का वर्तमान स्वामी एक बांबीजाति का मुसलमान है, जो नवाब का विरुद धारण करता है और गायकवाड़ को खिराज देता है। उसकी आय बहुत थोड़ी है और उसकी महत्त्वाकांक्षाएं उसके अन्तर में उसी तरह घुटी हुई हैं जैसे कि उसका किला जंगल की पट्टी से घिरा हुआ है; वह खण्डहरों में रहता है।
जूनागढ़ को किसी भी अोर से देखें तो ध्यान तुरन्त ही इतिहास के उस प्राचीनतम काल तक पहुँच जाता है, जिसको स्पष्ट रूप से सौराष्ट्र पर राज्य करने वाली यादवों की प्रथम शाखा का समकालीन कहा जा सकता है और सम्भवतः तब यह देश मिनान्डर (Menander) और अप्पोलोडोटस (Appolodotus)' का मुकाबला करने वाले तेसारिमोस्तस (Tessarioustus) तेजराज] का आवास बना हुआ था। प्राचीनता की दृष्टि से आदरणीय और स्थिति के कारण आकर्षक जूनागढ़ को इसकी बहुसंख्यक ठोस चौकोर छतरियाँ और सच्छिद्र परकोटा सुदृढ़ता और गौरवपूर्णता का स्वरूप प्रदान करते हैं। निस्सन्देह, बारूद के आविष्कार से पहले यह जितना अभेद्य और सुदृढ़ माना जाता था उतने ही गौरव को अब तक भी धारण किए हुए है। इसकी तत्कालीन चुनी हई स्थिति बलुआ पत्थर की एक रेतीली श्रेणी के चढ़ाव के अन्तिम छोर पर है। यही कैंकरीली मिट्टी सौराष्ट्र की मध्य-श्रेणी की तलहटी से समुद्र तक इस देश के भूमि-तल में व्याप्त है और इस स्थल पर पाकर तीस गज ऊँचे पठार तक चढ़ गई है। यहीं से उत्तर-पूर्वीय कोण में राजप्रासाद हैं, जो अपने-आपमें एक विशाल इमारत है और जो इस कठोर पत्थर वाली श्रेणो से केवल सोनारिका नदी के बीच में आ जाने से पृथक् हो गए हैं।
। सिकन्दर के सेनापति ।
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