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पश्चिमी भारत की यात्रा
जब उस वंश के अन्तिम राजा माण्डलिक का महमूद बेगचा [ड़ा] के द्वारा नाश हुआ तब भी यही मान्यता थी। इससे हम अधिकारपूर्वक यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि श्रृंखला टूटी नहीं थी और इसलिए जब महमूद ने ईसा की दसवीं . शताब्दी में आक्रमण किया तब भी यहाँ पर कोई यदुवंशी राजा ही राज्य कर रहा था । अब ज़रा देखें कि प्रबुलफजुल सौराष्ट्र के प्रांकिक विवरण में यहाँ के विषय में अकबरकालीन परिस्थिति का कैसा विवरण देता है--नौ जिलों में बंटा हुआ, जिनमें प्रत्येक में अलग-अलग जाति के लोग बसे हुए थे; पहले भाग का, जो साधारणतया 'नवसोरठ' कहलाता है, बहुत समय तक घने जंगलों और पहाड़ियों की भूल भूलैयाँ के कारण पता नहीं चला था । संयोग से एक आदमी उधर भटक गया और उसने अपनी शोध का विवरण दूसरों को दिया । यहाँ पर पत्थर का बना हुआ एक किला है जो जूनागढ़ कहलाता है। इसको सुलतान महमूद ने जीत लिया था और इसी की तलहटी में दूसरा छोटा किला बनवाया था।'
जूनागढ़, यद्यपि अब बस गया है, परन्तु देखने में वस्तुतः वैसा ही है जैसा कि अबुल फजल ने सदियों पहले बयान किया है । यह चारों प्रोर कुछ मील चौड़ी घने जंगल की पट्टी से घिरा हुआ है, जिसमें मुख्यत: कँटीले बबूल आपस में ऐसे गुंथे हुए हैं कि उनको पार करके अन्दर घुसना असम्भव है; फिर भी, दो तीन जगह पास के मुख्य-मुख्य गाँवों में जाने के लिए बबूल काट कर मार्ग बना दिए गए हैं। जंगल की ऐसी पट्टियाँ [ वन - मेखलाएं] मनु के आदेशानुसार रखी जाती हैं, जिसका विविध विषयक धर्मशास्त्र जिस प्रकार युद्ध-कला का विधान करता है उसी प्रकार नागरिक, सामाजिक एवं धार्मिक नियमों के उल्लेखों से भी समन्वित है । इस जंगल से सुरक्षा के साधनों में अभिवृद्धि होती है या नहीं, यह दूसरी बात है, परन्तु इतना अवश्य है कि इससे घिरे हुए स्थान
१ प्राईन-ए-अकबरी, भाग २, १०६६, ग्लेडविन । व्यक्तिवाचक और विशेषतः भौगोलिक नामों में गड़बड़ी पैदा करने वाली अरबी श्रौर फारसी भाषा से बढ़ कर और कोई भाषा नहीं है। अबुल फजल का एतत्प्रान्तीय प्रांकिक संकलन प्राचीन नगरों और पुरुषों के नामों में अस्पष्टता होने के कारण ही अपना बहुत-सा महत्व खो बैठा हैं। जूनागढ़ धोर 'चूनागढ़' में तो थोड़ा ही अन्तर है परन्तु, 'बेराञ्जी' (Beranjy) और 'गोरीनर' (Gowereener ) को पढ़ कर शत्रुञ्जय और गिरनार के पवित्र पर्वतों का अनुसंधान कौन करेगा ? (पृ. ६७) फिर, तीसरे जिले का विवरण देते हुए वह लिखता है। 'सिरोंज पहाड़ की तलहटी में एक बड़ा नगर है जो अब टूटा-फूटा पड़ा है' इससे कौन अनुमान लगाएगा कि वह शत्रुञ्जय और पालीताना की बात कह रहा है ? इत्यादि ।
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