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प्रकरण - १६; पाटण के पतन की कहानी [३५७ (Joppa) एके (Acre)' और पवित्र पहाड़ो (Holy Hill) की भी यात्रा करने वाले को, यदि वह वहां रिचार्ड कोर डी लायन (Richard Coeur de Lion) अथवा उसके अधिक योग्य विपक्षी सैलॅडिन के विषय में जानकारी करना चाहे तो क्या इससे अधिक सफलता मिल सकेगी?
अन्त में, हमारे मुकाम के अन्तिम दिन, पाण्डुलिपियों की अब तक की असफल खोज का सुफल मिल ही गया, और मेरे मित्र के एक कर्मचारी ने एक पुराने काज़ी के प्रज्ञ वंशज से, जिसको यह पता भी न था कि में क्या लिखा है, एक काव्य की खण्डित प्रति प्राप्त की, जिसमें भूतकाल का कुछ वृत्तान्त अंकित था। इसको देखने पर स्पष्ट ज्ञात होता है कि यह किसी मूल फारसी कविता का शुद्ध हिन्दी बोली में रूपान्तर है, जो किमी राजपूतों के कवि [भाट] ने किया है । मैंने उत्सुकतापूर्वक इसको हथिया लिया और अब, इसको पद्यात्मकता को अलग रख कर, प्रसन्नता से 'पाटण के पतन' की कहानी सरल गद्य में पाठकों के सम्मुख उपस्थित करता हूँ।
'हाजी महमूद मक्का से एक व्यापारिक जहाज में आया और पट्टण से उत्तर-पश्चिम में तीस मील की दूरी पर मांगरोल बन्दरगाह पर उतरा, इसी कारण वह 'मांगरोली शाह' कहलाने लगा। वहाँ से वह पट्टण पाया और एक रैवारी के घर शरण लेकर रहने लगा । यहाँ पर उसको ज्ञात हुआ कि सोमनाथ की प्रतिमा के आगे नित्य एक मुसलमान की बलि दी जाती है और उसके रक्त से ही मूर्ति पर टीका लगाया जाता है । अधिक जिज्ञासा होने के कारण वह नगर में गया और वहाँ एक विधवा तेलिन से छाती फाड़-फाड़ कर रोने का कारण पूछा तो उसे ज्ञात हुआ कि उसके इकलौते पुत्र को पुजारियों ने बालनाथ के अर्पण करने के लिए मांगा है। हाजी ने उसे प्रसन्न रहने को कहा और उसके पुत्र को बचाने के लिये स्वयं बलि चढ़ जाने की इच्छा प्रकट की। परन्तु, जब राजा को यह सूचना दी गई कि कोई विदेशी तेली के पुत्र को बचाने के लिए जान दे रहा है तो यह विचार रद कर दिया गया। उधर वह सन्त किसी
अंग्रेजों ने पुख्ता करा दिया था। यह जरूसलम के बन्दरगाह से एक सड़क द्वारा सम्बद्ध है। यहां की आबादी में मुसलमान अधिक हैं । यहाँ पर एक 'कायम मुकाम' या गवर्नर रहता है। --E.B. Vol. XIII; p. 746 - Acre-पैलेस्टाइन का बन्दरगाह जो जेरूसलम से ८० मील दूर है। सलादीन ने इस
पर अधिकार किया, उसके बाद Crusaders ने इसे पुनः ले लिया था। रिचार्ड प्रथम ने इसे फिर जीत लिया।-N.S.E.; p. IO
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