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________________ ३२६ ] पश्चिमी भारत की यात्रा परन्तु, जब वह स्वयं अपने धंधे के सक्रिय कर्तव्यों को पूरा करने में समर्थन रहा तो उसने यह काम अपने पुत्रों पर छोड़ दिया और अपनी जवानी में लटी हुई सम्पत्ति एवं पुत्रों को लूटपाट के धन को धार्मिक कार्यों तथा दानपुण्य में खर्च कर के प्रात्म-शान्ति के लिए मन बहलाने लगा है। सभ्यता के समान-युगों में भी हमें इतिहास के प्रत्येक पृष्ठ पर प्रायः ऐसे ही चरित्रों का वर्णन मिलेगा। दृश्य को केवल हमारे सम्राट् को म्यूल्फिक (Guelphic)' पूर्वज-परम्परा में बदल दीजिए, जिसके विषय में कॉनराड (Conrad) • से भी पूर्व मध्यकालीन अस्पष्ट युगों का वर्णन करते हुए, प्रतिभाशाली गिबन (Gibbon) ने कहा है 'हम उनके बारे में बहुत कम जानते हैं, परन्तु यह अनुमान लगा सकते हैं कि वे जवानी में धन लूटते थे और बुढ़ापे में गिरजे बनवाते थे ।' ___काठी अथवा ऐसे ही अन्य मनुष्यों के जीवन की विचारधारा को सर्वथा बदलने के लिए बल-प्रयोग ही कोई अचूक साधन नहीं है क्योंकि 'भौमिक आकपंण' के इन देशों में ऐसे धन्धों को अपमान की दृष्टि से नहीं देखा जाता; यही नहीं, यदि अन्त में वे पूर्णतया बदल जाते हैं तो पूर्व-कुकृत्यों को परवाह न करते हुए उनके स्वामी (राजा) भी उनका कम सम्मान नहीं करते और ऐसी एक प्रशान्त आत्मा द्वारा आत्म-समर्पण के अवसर पर, शान्त और नियमित रूप से कर देने वाले तथा 'बाहरबाट' होने का स्वप्न में भी विचार न करने वाले निन्यानवे प्रजाजनों के आधीन हो जाने की अपेक्षा, अधिकाधिक खुशियां मनाते हैं। गढ़िया, नवम्बर २४ वीं-इस ऊँची वन-भूमि के सुन्दर और अत्यन्त मनोरम दृश्यों में हो कर सात मील चले। हमारे मार्ग में प्रत्येक मील पर हमने वनाच्छादित घाटियों से बह कर पाते हुए छोटे झरनों को गहरी दरारों में होकर अपना निर्मल जल-प्रपात करते हुए देखा; ये झरने पठार भूमि पर पुनः , इंगलण्ड का राजवंश । सन् १९१७ ई० में बादशाह जार्ज पञ्चम ने अपने वंश की सभी पूर्व जर्मन उपाधियों का त्याग करके विन्डसर कुल (House of Windsor) कायम किया था। पहले यह कुल Guelphic कहलाता था।-N.S.E.; p. 1301 . २ अंग्रेजी उपन्यासकार Joseph Conrad; जन्म १८५७ ई० । इनकी कहानियों में समुद्र एवं समुद्रवासियों का वर्णन अधिक पाया जाता है। कॉनराड की मत्यु अगस्त, १९२३ ई. में हुई -N. S. E., P. 314 ३ प्रसिद्ध अंग्रेजी इतिहासकार । जन्म १७३७ ई०, २७ अप्रेल; मृत्यु १६ जनवरी १७६७ ई. लन्दन में। इसकी लिखी Decline and Fall of the Roman Empire नामक पुस्तक प्रसिद्ध है।-N. S. E; p. 559 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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