________________
३१२ ]
पश्चिमी भारत की यात्रा अवशिष्ट भाग मेरी टिप्पणी और स्मृति, दोनों ही से गायब हो गया है) अथवा जीवित इतिहासकारों से परिणाम ज्ञात करने के लिए पालीताना की बावड़ी का पाश्रय लेना पड़ेगा क्योंकि यद्यपि सावलिंगा का पुर्जा तो अब इसकी शोभा नहीं बढ़ाता है; परन्तु जब तक यह बावड़ी कायम रहेगी तब तक यह कथा मुंहोंमुंह कही जाती रहेगी। भारत में ऐसे बहुत से कथानक प्रचलित हैं जिनके मूल में कोई-न-कोई ऐतिहासिक वृत्तान्त रहता है, जिससे साधारण कृषक से लेकर राजा तक समान रूप से परिचित होते हैं। परन्तु, मेरी प्राचीन शिलालेखों को खोज व्यर्थ गई-क्रूर तुर्क मेरे सामने था, टूटी-फूटी इमारतों की अन्य सामग्री के साथ उत्कीर्ण लेखों वाले पत्थरों को भी नई इमारतों में काम में लेने की दोनों ही हिन्दू और मुसलमानों की पादत सदा ही भूत के अधिकांश को वर्तमान की आँखों से तब तक ओझल करती रहेगी जब तक कि वह अपने आप समय की वेदी पर बलिदान न हो जायगी अथवा और कोई विध्वंसक उन इमारतों को ध्वस्त करके प्राचीन अवशेषों को प्रकाश में न ले पाएगा। - अाधुनिक पालीताना का इतिहास अधिक लम्बा नहीं है। यह गोहिलवंश की एक शाखा के अधिकार में उसी समय से चला आ रहा है जब से यह जाति कोई पचीस पीढ़ी पूर्व सौराष्ट्र में पाकर बस गई थी। पिछले साठ सत्तर वर्षों में इसकी महिमा और भी बढ़ गई है, कारण कि गायकवाड़ सरकार के निर्दयतापूर्ण अत्याचारों और काठियों के आक्रमणों से जान बचाने के लिए गोड़ियाधार निवासी उस प्रान्त को छोड़ कर यहां प्रा बसे हैं। वर्तमान शासक का नाम काण्ड (Kanda) भाई है; वे अवस्था में बावन वर्ष के हैं और अच्छी सुप्रसिद्धि का उपभोग कर रहे हैं। उनके छोटे से राज्य में गौरियाधार को ट्रक सहित पचहत्तर गांव (कस्बे) थे, परन्तु वे सब-कुछ तो उनके वंश की ज्येष्ठ शाखा के प्रमुख भावनगर के राव से द्वेषपूर्ण वैरभाव के कारण और कुछ काठियों की लटखसोट तथा उनके स्वामी गायकवाड़ की लोलुपता के कारण, प्राय: उजड़ और दुर्दशाग्रस्त हो गये हैं। सामयिक रीति-रिवाज के अनुसार उनको अपनी सुरक्षा के लिए कर अरबों की एक बड़ी भारी जमात की खातिरदारी करनी पड़ती थी। जब शान्ति का राज्य प्रारम्भ हुआ तो उन्हें अपने इन रक्षकों से ही महान् भय की प्राशंका हुई, अत: उनकी भयानक धमकियों से बचने के लिए उन्होंने अपने खर्चे निमित्त चालीस हजार रुपया वार्षिक निश्चित करके यात्री-कर सहित अपनी समस्त जायदाद को प्राय एक बनिये के गिरवी रख दी और उसने इन आततायो अरबों से छुटकारा पाने के लिए आवश्यक रकम अदा कर दी। यह प्रणाली कैसे कार्यान्वित होतो है, यह समझने के लिए मैं केवल एक दिन के
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org