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________________ ३०६ ] पश्चिमी भारत की यात्रा पश्चिमी ढाल से घूम कर जैसे ही हम उतरे वैसे ही थोड़ी दूर पर हमें एक हलवाई का पालिया या चबूतरा मिला। कहते हैं कि जब घुमक्कड़ काठियों ने आदिनाथ के पुजारियों को लूट लिया था तो उस हलवाई ने 'पवित्र पर्वत की रक्षा करने के लिए अपना जीवन बेच दिया था।' कुछ प्रागे चल कर हम कृष्ण की माता देवकी के छः पुत्रों के 'थान' पर आए जिनको भारत के हराड (Herod), कंस ने मार डाला था। इस दुर्भाग्य से केवल कृष्ण ही द्वारका को भाग कर बच सके थे।' मन्दिर षट्कोण है और इसमें केवल चबूतरा और स्तम्भ बने हुए हैं। बध किए हुए शिशुओं की मूर्तियां काले पत्थर की हैं। यहीं पर हमें वृद्ध गायक के रूप में एक विदूषक मिला। उसके सिर पर लाल कपड़े की टोपी थी, जिसमें झूठे मोती लगे हुए थे। वह रेशमी चोला पहने हुए था, उसके हाथ में इकतारा और मंजीरे थे और पैरों में धुंघरू बंधे हुए थे। मंजीरों की ताल पर अपने पैरों के धुंघरू झनझनाता हुमा वह पुरातन भोटों द्वारा रचित अपने प्रान्तीय गीत गा रहा था और बीचबीच में आदिनाथ की महिमा का वर्णन करता जाता था। वह औरों की अपेक्षा अधिक प्रसन्न और प्रात्म-गौरवयुक्त दिखाई देता था और बड़े प्रसन्न भाव से घाटी की तल हटी तक हमारे पागे आगे चलता रहा । वहाँ आकर हम लोग विलग हो गए। अपने डेरों में चलने और पालीताना घूमने से पहले, पाइए, इस पवित्र पर्वत की सम्पत्ति के बारे में भी कुछ शब्द कह दें। प्रादिनाथ को भौतिक सम्पत्ति का प्रबन्ध अहमदाबाद, बड़ौदा, पट्टण और सूरत आदि प्रमुख नगरों के धनिक भक्तों की एक समिति करती है। ये लोग स्थानीय और पर्यटक गुमाश्तों को नियुक्त करते हैं, जो भक्तों से भेंट ग्रहण करके हिसाब में जमा करते हैं तथा मरम्मत, धूप केसर आदि दैनिक पूजा-सामग्री, बलिमुक्त कबूतरों व पशुओं तथा मन्दिर के पवित्र अहाते में रखी हुई पिंजरापोल की वृद्धा गायों के दाने-चारे का खर्च लिखते हैं । वर्तमान स्थानीय प्रबन्धक मेवाड़ का निवासी है। कहते हैं कि मुख्य देवालय का खजाना सोने और ' हैरॉड गैलिली (Galilee) का बादशाह था उसका समय ४० ई० पू० से ४ ई० पू० तक का माना गया है । वह निरपराध प्राणियों और बच्चों का वध कराने के लिए कुख्यात है ।-N.S.E; p. 636. २ यहाँ टॉड साहब को भ्रम हो गया है । जन्म के समय तो श्रीकृष्ण को गोकुल ले जाया गया था और द्वारका तो वे कंस की मृत्यु के बाद जरासंध के आक्रमण के समय गए थे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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