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प्रकरण - १४; श्रादिनाथ का मन्दिर
[ २६७ को मुड़े। थोडी दूर तक इस सड़क के दोनों ओर की दीवारों के बीच चल कर हम अन्त में किले के पहले दरवाज़े पर पहुँचे, जो रामपोल कहलाता है । वहाँ से पत्थर जड़ी हुई सड़क पर होते हुए, जिसके दोनों ओर नीम के पेड़ लगे हुए थे, चार अन्य दरवाजों को पार करके हम एक मन्दिरों की कुञ्ज में जा पहुँचे जो पर्वत के दक्षिण-पूर्वीय मुख पर इकट्ठे बने हुए थे । रामपोल से ठीक आगे ही एक तालाब है, जो पाण्डवों की माता कुन्ती के नाम से प्रसिद्ध है । अनुश्रुति कहती है कि जब उसके पुत्र विराट में वनबास भोग रहे थे तब उसी की प्राज्ञा से इसका निर्माण हुआ था, परन्तु ( भूकम्प के झटकों से इसकी चट्टानें टूट गई हैं और बसुदेव को पुत्री [बहन ?] का यह पवित्र स्मारक अपने तत्त्व (पानी) से रीता हो गया है। दूसरे दरवाज़े का नाम सूगल पोल ( Sugal pol) है, जो बंगाल के एक धनी व्यापारी की उदार दानशीलता के कारण पड़ा है; इसके पास ही पालीताना के 'प्रथम गोहिल' नवघन द्वारा खुदवाया हुआ सरोवर है । दर्शक लोग यहाँ ठहर कर विश्राम करते हैं और यात्री लोग विभिन्न पूजा-स्थानों पर भक्तिभाव प्रदर्शित करते हैं। तीसरा द्वार 'बाघन पोल' कहलाता है और यहाँ पर हिन्दुओं की सिबिली' सिंह केसरी" माता की एक लघु मूर्ति है । यहीं पर गिरनार के नेमिनाथ की चौंरी भी है । इस इमारत से सटा हुवा एक चपटा पत्थर है, जिसमें जमीन से तीन फीट ऊँचा पन्द्रह इन्च व्यास का एक वृत्ताकार छिद्र है, जो 'मुक्तिद्वार' कहलाता है और जो कोई भी अपने शरीर को संकुचित कर के इस पवित्रता की कठिन परीक्षा में पार निकल सकता है। उसे मुक्ति मिलना सुनिश्चित है । 'दुर्बल पृथ्वी को अपनी मेदिनी बनाने वाले लक्ष्मी- पुत्रों में से बहुत थोड़े ही ऐसे होंगे जो अपने मांस को खूब सुखाए बिना इस परीक्षा में पूरे उतर सकें । 'मुक्ति- पोल' के सामने ही एक ऊंट की बड़ी विचित्र प्रस्तर मूर्ति है, जो आकार में प्रायः सजीव ऊंट के बराबर है; ये सभी खड़े पत्थर 'शूल' या सुई कहलाते हैं इसलिए हमारे प्रक्षरबद्ध लेखों में हम इनकी कल्पना मात्र कर लेने का ही सुझाव दे सकते हैं । चतुर्थ द्वार अर्थात् हाथीपोल पर अन्यतम प्रमुख जिनेश्वर पार्श्व [नाथ] का मन्दिर है जो शेष [ सहस्र ] फरिण के नाम से प्रसिद्ध है अर्थात् वह देव जिस का छत्र सहस्र फरणों वाला सर्प [शेष ] है । यहाँ पर मिस्र के हरमीज़ (Hermes ) 3 के
• ग्रीक प्रकृति देवी ।
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सिंहवाहिनी माता |
3 ग्रीक माइथोलॉजी के अनुसार एक देवता, जो ज्यूस Zeus का पुत्र था और मृतकों की आत्मा को निम्न लोकों में ले जाया करता था । वह वाणी और भाग्य का अधिष्ठाता तथा यात्रियों और व्यापारियों का रक्षक भी माना जाता था ।
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