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________________ सुरगिरि - देवताओं का पर्वत । महागिरि - बड़ा पर्वत । पुण्यरसतीर्थानिकम् - पुण्य देने वाले तीर्थस्थान | धन देने वाला पर्वत ( श्री = लक्ष्मी ) । श्रीपतिपर्वत श्रीमुक्तशील (शैल ) - मुक्ति देने वाला पर्वत | श्री पृथ्वीपीठ पृथ्वी का मुकुट | श्रीपातालमूल = जिसकी जड़ पाताल में है । श्रीकामद पर्वत www प्रकरण - १४; शत्रुञ्जय = सर्व कामना पूरी करने वाला पर्वत । ' शत्रुञ्जय के स्थापत्य को समझने के लिए पाठकों को उन महापुरुषों से परिचित कराना आवश्यक है जिनको ये भवन अर्पित किए गए हैं अथवा जिनके नामों पर इनके नाम रखे गये हैं; इसके लिए हमें फिर 'माहात्म्य' का प्राश्रय " लेना पड़ेगा, जिसमें यह उद्धरण आता है कि 'आदिनाथ के दो पुत्र थे - भरत श्रीर बाहुबलि | बाहुबलि का राज्य मक्का देश पर था जो बालि देश' कहलाता था । वहां से जावड़शाह (Javur Sah) ने विक्रमादित्य से सौ वर्ष बाद उसकी (बाहुबल की ) मूर्ति लाकर शत्रुञ्जय पर स्थापित की थी। वहां से यह मूर्ति गोगो ले जाई गई जहां यह उस समय तक रही जब गोहिलों ने अपनी राजधानी बदल कर भावनगर में स्थापित की। वहां यह मूर्ति अब तक वर्तमान है । बाहुबलि से चन्द्रवंश की उत्पत्ति हुई और उसके बड़े भाई भरत से सूर्यवंश की ।' Jain Education International यह मेरे देखे हुए उन महत्त्वपूर्ण अनुच्छेदों में से है जिसमें तुरन्त ही बौद्धधर्म का उद्गम अरब में बताया गया है । साथ ही उस तथ्य का भी उल्लेख है जिसका मनु और पुराणों ने प्रतिपादन किया है कि भरत उन सभी वंशों का , मूल पुस्तक में पाठ इस प्रकार है जिसमें २१ नाम गिनाये गये हैं शत्रुञ्जयः पुण्डरीकः सिद्धिक्षेत्रं महाबलः । सुरशैली विमलाद्रिः पुण्यराशिः श्रियः पदम् ||३३२॥ पर्वतेन्द्रः सुभद्रश्च दृढशक्तिरकर्मकः । मुक्तिगेहं महातीर्थं शाश्वतं सर्वकामदः ॥ ३३३॥ पुष्पदन्तो महापद्मः पृथ्वीपीठं प्रभोः पदं । पातालमूलं कैलास: क्षितिमण्डलमण्डनम् ||३३४॥ [ २९३ " 'बालू' का अर्थ संस्कृत में रेत है। बालूदेश को फारसी में रेगिस्तान कहते हैं, जो अरब - के रेगिस्तान पर लागू होता है। हिन्दू भूगोल में बल्व प्रथवा बालुका देश का भी यही अर्थ है । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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