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प्रकरण - १३, सोहोर
[२८३ पूर्व का बादशाह चरित्र में सहृदय और सत्कुलोत्पन्न है । केवल चवालिस वर्ष की अवस्था में ही वह एक छः वर्षीय बालक का पितामह है। वह हमारे सम्मिलन से बहुत प्रसन्न प्रतीत होता था और हम भी उस के प्रत्येक कार्य में व्यवस्था और परिश्रम को देख कर प्रभावित हुए बिना न रहे, और इन प्रदेशों के पुरातन रीति-रिवाजों से सुपरिचित होने के कारण मैंने यही सोचा कि ये उपयोगी और मानवीय सभ्यता के सद्गुण उसे विस्तृत व्यापार के बदले में ही प्राप्त हुए थे।
सीहोर - नम्वबर - यह नगर नौ कोस दूर था। नहरवाला के शक्तिशाली राजा मूलराज द्वारा दशवीं शताब्दी में बसाए हुए इस ब्राह्मण-उपनिवेश की स्थिति बहुत ही मनोरञ्जक है, और इस के परकोटे में किलेबन्दी के किसी भी सिद्धान्त के स्वीकार्य न होने से इस की सुन्दरता और भी बढ़ गई है। अलगअलग खड़ी हुई पहाड़ी चोटियों पर बनी हुई गोल बुर्जे नीची दीवारों से संयुक्त कर दी गई हैं और इन के पीछे खड़ी हुई ऊंची-ऊंची पहाड़ियाँ दृश्य के गौरवको बढ़ा देती हैं । नगर के परकोटे के चारों ओर एक स्वच्छ झरना बहता है, जिसके किनारे-किनारे बहुत बड़े-बड़े वृक्ष खड़े हुए हैं। सीहोर को अति पुरातनता का गौरव प्राप्त है, और इसके साथ बहुत-सी अतीत के उपाख्यानों को अनुश्रुतियाँ जुडी हुई हैं । इसके अतिरिक्त गोगो के हाथ से निकल जाने के बाद भावनगर बसाने तक के समय के लिए यह गोहिलों का प्रमुख निवास-स्थान भी रहा है। इसको मूल-पावनता गोतम (पौराणिक मुनि) के प्रभाव से एक रोग-नाशक जलस्रोत के कारण उत्पन्न हुई, जिसमें स्नान करने से मूलराज के किसी पुराने दुष्ट रोग का निवारण हुअा और इस अवसर पर उसने सीहोर तथा आसपास की भूमि का दान ब्राह्मणों को कर दिया था। उनके पास यह उस समय तक रही जब तक कि उनके आपसी मतभेद राजनैतिक झगड़ों में परिणत न हो गए और इन ब्राह्मण-योद्धाओं के वंशजों ने अपने को किसी स्वामी के आधीन मानना स्वीकार न कर लिया। उन्होंने गोगो के गोहिल को अपना नवीन स्वामी चुना और उसको समस्त जाति की रक्षा एवं राजनैतिक नियंत्रण सम्बन्धी सम्पूर्ण अधिकार दे दिए; परन्तु, एक बाग लगाने के निमित्त पर्याप्त भूमि के अतिरिक्त उन्होंने समस्त भूमि पर अपना ही अधिकार बनाए रखा और गोहिलों का भी प्राचीन संस्कारों के कारण 'शासन तोड़ने अथवा धर्मार्थ प्रदत्त भूमि का पुनर्ग्रहण करने को, अब तक आठ शताब्दियां पूर्ण होने पर भी, साहस न हुआ, क्योंकि इस कर्म का दण्ड साठ हजार वर्ष तक नरकवास जो होगा ! आज कल यहां पर गोहिल के युवराज भावसिंह का
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