________________
२८२ ]
पश्चिमी भारत की यात्रा श्योदास का जैत नामक पुत्र था, जिस के रामसिंह हुआ, जो चित्तौड़ की रक्षा करते हुए काम आया और उस की स्त्री सूजन कुमारी उस के साथ सती हुई । उसके तीन पुत्र हुए-सत्त, देव और बीर । पिछले दोनों के नामों से 'देवाना' और 'बीराना' नामक गोहिलों की दो नई शाखाएं चलीं। सत्त के तीन पुत्र हुए, जिन में ज्येष्ठ पुत्र बीसल को सीहोर की जागीर प्राप्त हुई, जो अणहिलवाड़ा के मूलराज ने ब्राह्मणों को दान में दे रखी थी; परन्तु, वे आपस में लड़ पड़े और उन्होंने अपने पर शासन करने के लिए संवत् १५७५ (१५१६ ई०) में एक राजा का चुनाव किया। बीसल का पुत्र धूनो हुआ, जिस के पुत्र प्रखैराज ने निःसन्तान होने के कारण अपने भाई के पोते हर-ब्रह्म को गोद लिया। उस के पुत्र अक्षराज का पुत्र रत्न हुआ, जिस के पुत्र भावसिंह ने जूना अथवा पुराने बडवार के स्थान पर संवत् १७७९ (१७२३ ई०) में भावनगर बसाया।
भावसिंह के अखैराज और बीसा हुए । बीसा बहुत समय तक बाहरबाट रहा और अन्त में उस ने वला और चमारनी को जागीर में प्राप्त किया। अखैराज का पुत्र बखतसिंह हुआ, जो साधारणतया अट्टाभाई के नाम से प्रसिद्ध था। उसी का पुत्र विजयसिंह वर्तमान ठाकुर है । उस का पुत्र और उत्तराधिकारी भावसिंह है, जो चौथी पीढ़ी में नगर के संस्थापक का नाम धारण करता है और इस समय बाली (प्राचीन बलभी) में रहते हुए वहाँ का शासन चलाता है।
इस प्रकार खेरथल से निकल कर आए हुए मूलपुरुष से लेकर अब तक छ: सौ उनतीस वर्षों में इक्कीस पीढ़ियाँ हो चुकी हैं। अनुपात से एक-एक पीढ़ी का समय उनतीस वर्ष प्राता है, जो अन्तः स्थलीय राजाओं की पीढियों से छः वर्ष अधिक है। यदि यह ठीक है तो इन की दीर्घ-जीविता का कारण अच्छा जलवायु एवं शान्तिपूर्ण जीवन तो नहीं माना जा सकता क्योंकि जन्मभूमि से निकलने के बाद समुद्री लूटमार ही गोहिलों का मुख्य व्यवसाय रहा है।
गोहिलों के सरदार को प्रालंकारिक भाषा में यहाँ के लोग 'पूरब का पातशाह' कहते हैं । इस में 'पूरब' का अर्थ प्रायद्वीप के पूर्वीय भाग तक ही सीमित है, जो सैक्सन सप्तराज्यों' में से कुछेक के बराबर है तथा 'फीफ' के साम्राज्य (Kingdom of Fife)' से भी उस की तुलना की जा सकती है। यह
, ई. पू. ३०० के लगभग रुक्सन जाति के लोग योरप में फैल गए थे। उसी समय इंगलैंड
पर भी इन का अधिकार था। उस समय यह देश सात छोटे-छोटे राज्यों में विभक्त था। १ स्कॉटलैण्ड राज्य का एक भाग; इसका विस्तार केवल ५०४ वर्ग मील का माना जाता
है और यह फोर्थ (Forth) और टे (Tay) नदियों के बीच का प्रायद्वीपीय भाग है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org