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पश्चिमी भारत की यात्रा
(स्तम्भों) और प्रत्येक वक्ष के तले स्थापित पीतल के बैल" को और मिला लीजिए तो वे हमारे लिङ्गम् तथा नन्दिकेश्वर हो जाते हैं, जिनकी इन रहस्यों में विशेष पवित्रता मानी जाती है। चित्र में और कोई कमी नहीं रह जाती केवल इतनी ही कि सीरियनों ने पूजन के लिए दिन निश्चित कर रक्खा है और उस दिन कुछ चुने हुए मनुष्य ही पूजा करते हैं जिनके हृदय परमात्मा से हट गए हैं', यह दिन प्रत्येक मास का १५वा दिन होता है। यहां हमें सौरों और भारतीय अन्य जातियों में एक और समानता मिल जाती है; अमावस का दिन ही ऐसा है जो चान्द्र मास के कृष्ण और शुक्ल नामक दोनों पक्षों को विभाजित करता है; जब सूर्य और उसका उपग्रह अन्तरिक्ष में आमने सामने हो जाते हैं, एक अस्त होता है और दूसरा पूर्ण रूप में उदित होता है, तो साबीनों (Sabeans) के समान हिन्दू भी अपनी टोपियां नए चाँद की ओर फेंकते हैं और दावतें करते हैं।'
ये सूक्ष्म समानताएँ आई कहाँ से ? हम भली भाँति जानते हैं कि प्राकाशीय ग्रह-मण्डल की आराधना प्राकृत-धर्म का मूल-स्वरूप है, जो ध्रुवीय समुद्र के निवासियों और आत्मा की अमरता में विश्वास करने वाले प्राचीन 'जीत' (Gete) लोगों में समान रूप से पाया जाता है। परन्तु, यहाँ तो कुछ ऐसी विशेषताएं हैं, जो एक मूल स्रोत अथवा सीधे सम्पर्क के बिना नहीं आ सकतीं। इन विषयों पर हम आगे, जैसे-जैसे अवसर और स्थान की अनुकूलता प्राप्त होगी वैसे-वैसे, समय-समय पर विचार और अनुमान करते रहेंगे। __सौराष्ट्र को प्राचीन हिन्दूशास्त्रों में भारत का उपविभाग बताया गया है। मनु ने इसका उल्लेख किया है। पुराणों में, विशेषतः जहाँ-जहाँ विश्व-विवरण प्राता है उन अंशों में, इसका भी वर्णन किया गया है । परन्तु, महाभारत में इसकी प्रसिद्धि और भी अधिक बढ़ गई है क्योंकि भगवान् कृष्ण और अन्य नेताओं के पराक्रमों एवं मत्यु के दृश्य यहाँ पर ही घटित हुए थे। अतः यद्यपि इन प्रमाणों के आधार पर हम इस प्रायद्वीप में पाकर सौर जाति के बसने की ठीक-ठीक तिथि तो निश्चित नहीं कर सकते परन्तु यह अनुमान करने में भूल नहीं हो सकती कि इसका समय सिकन्दर महान् से कितनी ही शताब्दियों पूर्व का था और बहुत करके यह (समय) सॉल (saul)' का समकालीन अथवा उससे एक
, किश (Kish) का पुत्र साल (Saul) इजरायल के यहूदियों का प्रथम बादशाह था।
सैम्यूबर, भा० १,०३१ में लिखा है कि डेविड ने इसको गिलबॉय (Gilboy) पर्वत पर ई. पू. ९९० के लगभग हराया था। प्रतः इसका समय ईसा से प्रायः दस शताब्दी पूर्व का होता है। -The Outline of History-H. G. Wells, p.260
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