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प्रकरण १३
बड़ौदा से प्रस्थान; गजना (Gajna); हूण-लोग; खम्भात; इसके प्राचीन नाम: वर्तमान नाम की गाथा; जैन-शास्त्रों का केन्द्र , खम्भात; ग्रन्थ-भण्डार; नगीनों प्रावि का निर्माण; खाड़ी को पार करना; गोगो; शिलालेख; सौराष्ट्र का प्राचीन एवं वर्तमान इतिहास; सौर जाति का उद्गम; सीरियनों और सौरों के रीति-रिवाजों में समानता; सौरों का प्रायद्वीप में बसना; प्राधुनिक सौराष्ट्र; सोथिक जातियों के चिह्नः सौराष्ट्र की विभिन्न जातियां; बौद्धमत का केन्द्र ; देश के कतिपय प्राकर्षण; गोगो और सोरम (Seerum) का वृत्तान्त ; पूर्व पुर्तगालियों का इन भागों में दुष्ट आचरण; अल्बुकर्क का उपाख्यान; गोहिलों की राजधानी, भावनगर; राजा का स्वागत; उसका रङ्ग-विरङ्गा दरबार; अंग्रेज राजाओं को तसवीरें; छुटपुट चीजें; किरकिरीखाना; गोहिल राजा को जल-सेना; उसके अधिकृत स्थान; गोहिल वंश का चित्रण; समुद्री लूट, उनका मुख्य व्यवसाय; ब्राह्मण बस्ती, सीहोर; मेवाड़ के राजाओं की प्राचीन राजधानी, बलभी; भीमनाथ का प्राचीन मन्दिर और तालाब; उपाख्यान; तीर्थस्थल ।
खम्भात-नवम्बर ४ थी। वर्षा ऋतु समाप्त हो गई थी और सड़के चालू हो चुकी थीं इसलिए हमने २६ अक्टूबर को प्रस्थान कर के प्रोमेटा नानक स्थान पर मही नदी को पार किया। मेरा विचार नदी के मूह ने के पास गजना नामक ग्राम में जाने का था, जिसका अब वहां पर कोई नाम भी नहीं जानता। इस स्थान का वर्णन गहलोत राजाओं के इतिहास में प्राता है कि जब वे सौर प्रायद्वीप में राज्य करते थे तो इसकी बहुत प्रसिद्धि थी, परन्तु, अब यहाँ की अनुश्रुतियाँ इस विषय में मौन हैं और मुझे बताया गया कि अतीत गौरव के प्रतीक रूप में नदीमुख के दोनों ओर ही अब कोई भी अवशेष प्राप्त नहीं है । जो कुछ मुझे ज्ञात हो सका वह बस इतना ही है कि गजना ग्राम में पहले कोली वंश की एक शक्तिशाली जाति के लोग बसते थे जिनसे बाघेला राजपूतों की 'मीरेन' शाखा ने इस स्थान को छीन लिया था। उपजाऊ सपाट क्षेत्र-खण्ड अनुभुतियों के लिये अनुदल नहीं है और इन प्रार्द्र भागों में शीघ्र ही विघटनशील इंटों से बने हुए नगर भी किसी राजवंश की परम्परा को स्थिर नहीं रख सकते । वर्तमान खम्भात की अपेक्षा नदीमुख से ऊपर की ओर कुछ मील की दूरी पर बसे हुए प्राचीन नगर का नाम 'गजना' था। कहते हैं कि
'गजना नामक ग्राम की स्थिति खम्भात से २० मील दूर दहेवाण के पास मानी गई है ।
(खम्भातनो इतिहास, पृ० १४)
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