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________________ प्रकररण १२ बड़ौवा [ २५ कर में पाठकों को अधिक कष्ट देना नहीं चाहता । अन्य प्राचीन नगरों के समान इसका नाम चन्दनावती ( चन्दन की लकड़ी का नगर ) से वीरावती ( वीरों का निवास ) में बदल गया; फिर 'बटपद्र' हुआ । सम्भव है, इसका कारण इसके परकोटे के आकार की उस पवित्र पत्र के साथ काल्पनिक समानता टप या वटपद्रक नाम भी बहुत पुराना है । 'पत्र' शब्द का अर्थ 'लघु ग्राम' है । इससे विदित होता है कि पहले यह एक साधारण ग्राम था। परन्तु इसका उल्लेख प्रायः आठवीं शताब्दी से मिल रहा है । सुप्रसिद्ध जैन आचार्य हरिभद्र सूरि ने अपने 'उपदेश पद' में एक सत्य नामक वणिक् पुत्र का उल्लेख किया है, जो 'बड़वड्डे' का रहने वाला था । श्राचार्य हरिभद्र का समय ७०१ से ७७१ ई० माना गया है । इण्डियन एण्टीक्वेरी भा० १२ (१८८३ ई० ) में पृ० १५६ - १५८ पर सुवर्णवर्ष अथवा कर्क (कक्क, द्वितीय) का एक दान-पत्र छपा है जिसमें 'वटपद्रक' ग्राम के दान और उसकी स्थिति का उल्लेख किया गया है । यह लेख वैशाष शुक्ला पूर्णिमा, शक संवत् ७३४ (८१२-१३ ई० ) का है । इसमें लिखा है कि अंकोटक नामक चौरासी ग्रामों के मंडल में वटपद्रक नामक ग्राम वात्स्यायन गोत्रीय माध्यन्दिनी शाखा के चतुविद्या (चतुर्वेदी) ब्राह्मण भानु भट्ट को दिया गया, जो सोमादित्य का पुत्र था और वलभी से प्रा कर वहीं बसा था । वह ग्राम विश्वामित्री नदी के पश्चिमी किनारे पर कुछ झोंपड़ियों के समूह में बसा हुआ था । लेख में ग्राम के चारों ओर की सीमा का भी उल्लेख है । 'गौड हो' नामक काव्य की संवत् १२६९ में लिखित एक हस्त- प्रति में भी 'वट्टपट्टक' का उल्लेख मिलता है । जैसे “कइरायलंछरणस्स वप्पइरायस्स गउडवहे ॥ गाहावीढं समत्तं ॥ इति महाकाव्यं समाप्तमिति । कथानिलानानदिव्या || || मंगलं महा श्री ॥ संवत् १२८६ वर्षे पौष शुदि ८ भौमे श्रद्येह 'वट्टपट्टके' गौडवहमहा ।" Goudavaho of VAKPATI, Ed. S. P. Pandit, 1887, Intro. P. IV. गुजरात के सुल्तान महमूद बेगड़ा के पुत्र खलील खान ने, जो बाद में मुज़फ्फ़रशाह द्वितीय के नाम से सुलतान हुआ था, उस नगर का दुर्ग बनवाया था । उसका समय १५१३ से १५२६ ई० का था । Wollebrandt Geleynssen de Jogh नामक एक पुर्तगाली अफसर 'डच ईस्ट इण्डिया कम्पनी' में १६२५ ई० में था; उसने लिखा है कि ब्रोदेरा ( Brodera ) का नगर सुल्तान मोहमत बेगड़ा के पुत्र मूर ( मुसलिम ) ने बसाया था । मैण्डल्स्लो ((Mendelslo) ने १६३६ ई० में लिखा है कि बड़ौदा को सुल्तान महमूद बेगड़ा के पुत्र 'रसिया घी' ( Rasia Ghie) ने ब्रोदेरा के खण्डहरों के आधार पर बसाया । ब्रोदेरा यहाँ से श्राधी लीग की दूरी पर था । -Bombay Gazetteer, Vol. vii; p. 529 (चालू) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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