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प्रकरण
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प्रकरण- ११पाटण का ग्रन्थ-भण्डार
[ २४७ जन-साधारण अथवा यति की सम्पत्ति ग्रन्थ-भण्डार में मौजूद है परन्तु यह नगर सेठ और सरपंच अथवा मुख्य न्यायाधीश तथा नगर पंचायत के कड़े नियन्त्रण के आधीन है और इसकी देखभाल का सीधा भार कुछ यतियों पर होता है, जो हेमाचार्य के प्राध्यात्मिक शिष्यों की परम्परा में होते हैं तथा उनमें से ज्येष्ठ को विद्वान् होने का भी गौरव प्राप्त होता है । मेरी यात्रा से कितने ही वर्षों पूर्व मुझे इस भण्डार की स्थिति का पता मेरे गुरुजी से लग चुका था और वे भी मेरे ही समान अपने संशय को दूर करने के लिए उत्सुक थे। निदान, वहाँ पहुंचते ही सब से पहले वे 'भण्डार की पूजा' करने के लिए जा पहुँचे । यद्यपि उनकी सम्मानपूर्ण उपस्थिति हो कुल्फ [मोहर] तोड़ने के लिए पर्याप्त थी परन्तु नगर-सेठ के आज्ञा-पत्र बिना कुछ नहीं हो सकता था। पञ्चायत बुलाई गई और उसके समक्ष मेरे यति ने अपनी पत्रावली अथवा हेमाचार्य की आध्यात्मिक शिष्य-परम्परा में होने का वंशवृक्ष उपस्थित किया, जिसको देखते ही उन लोगों पर जादू का सा असर हुप्रा और उन्होंने गुरुजी को तहखाने में उतर कर युगोंपुराने भण्डार की पूजा करने के लिए आमन्त्रित किया। सूची की एक बड़ी पोथी है और इसको देख कर इन कमरों में भरे हुए ग्रन्थों की संख्या का जो अनमान मुझे उन्होंने बताया उसे प्रकट करने में मुझे अपनी एवं मेरे गुरु की सत्य-शीलता को सन्देह में डालने का भय लगता है। ये ग्रन्थ सावधानी से सन्दूकों में रखे हुए हैं जो मुग्द अथवा कग्गर की लकड़ी (Caggarwood) के बुरादे से भरे हुए हैं। यह मुग्द का बुरादा कीटाणुओं से रक्षा करने का अचूक उपाय है । भण्डार को देख कर जब वृद्ध गुरु मेरे पास वापस आए तो उनके आनन्द की कोई सीमा न थी । परन्तु, सूची में और सन्दूकों की सामग्री में बहुत अन्तर था; दो ग्रन्थों की खोज में उन्होंने चालीस (सन्दूकों) का निरीक्षण किया था। वे ग्रन्थ 'वंशराज-चरित्र' और 'शालिवाहन-चरित्र' थे । शालिवाहन ताक (Tak) अथवा तक्षक समुदाय का नेता था जिसने उत्तर से पाकर भारत पर आक्रमण किया था और सार्वभौम सम्राट विक्रम की गद्दी को उलट कर दक्षिण भारत में पहले से प्रचलित संवत् के स्थान पर शकसंवत् चालू किया था। तहखाने के तंग और अत्यन्त घुटन-पूर्ण वातावरण के कारण उनको इस अन्वेषण से विरत होना पड़ा और उन्होंने इसे तुरन्त ही बन्द कर दिया क्योंकि उन्हें यह वचन दे दिया गया था कि लौटने पर वे जिस ग्रन्थ की भी चाहें प्रतिलिपि करा सकेंगे। अभी उन्हें बारह मील की यात्रा मेरे साथ और करनी थी और वर्षा शुरू हो चुकी थी इसलिए मेरे क्षीण स्वास्थ्य के कारण यह यात्रा लम्बी होकर मेरे सामने खड़ी थी। यदि मेरे पास ठहरने का समय
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