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पश्चिमी भारत की यात्रा अथवा मारक के स्वामी द्वारा सफल अाक्रमण और लूट का आलंकारिक वर्णन मान लेते हैं । उपरि वणित शिलालेख का वृत्तान्त ट्रांजेक्शन्स् ऑफ दी रायल एशियाटिक सोसाइटी (वॉल्यूम १, प. १५४) में दिया गया है क्योंकि सौभाग्यवश मैंने मूल लेख की नकल और अनुवाद अपने पास रख लिए थे। ___ बालमूलदेव संवत् १२२८ (११७२ ई०)' में गद्दी पर बैठा । आलंकारिक विशेषण का यह एक और उदाहरण है और यह भी कम आश्चर्य की बात नहीं है कि इस वंश के आद्य और अन्तिम राजा उसी (मूल) नक्षत्र में जन्म लेने के कारण एक ही नाम के हुए। उसने अणहिलवाड़ा पर इक्कीस वर्ष अर्थात् संवत् १२४६ (११६३ ई०) तक राज्य किया। यह काल राजपूत-इतिहास में चिरस्मरणीय है क्योंकि इसी वर्ष दिल्ली और कन्नौज के प्रासादों पर इसलाम का विजय-नक्षत्र उदित हुआ था; इसी वर्ष परमवीर योद्धा पृथ्वीराज कग्गर (Caggar) के किनारे युद्ध करके वीरगति को प्राप्त हुना, और कन्नौज का सम्राट अपनी प्रान के अतिरिक्त सब कुछ गंवा कर गङ्गा में जा डूबा। इस प्रकार यद्यपि अणहिलवाड़ा के सभी बड़े-बड़े प्रतिस्पर्धी राजाओं का अन्त हो गया था परन्तु 'बाल मूलदेव' तक यह आघात नहीं पहुंचा और उसका उत्तराधिकारी वीसलदेव बाघेला हुआ। उसका राज्यकाल संवत् १२४६
मकवाणा से युद्ध करने भेजा । इस युद्ध में पज्जूण के पुत्र मलयसी ने मकवाणा के सिर पर से 'छोंगा' छीन लिया और अपने पिता को ला कर भेंट कर दिया। फिर
गयो सु चालुक गेह तजि, रही कन गिरि लाज
छोंगा कूरमराव लै, कर दीनी प्रथिराज ॥१२॥ पृ. ६८, (रा.वि. वि. संस्करण) तदनन्तर पृथ्वीराज
राज सु छोंगा फेरि दिय, वर है-वर पारोह।
घटि चालुक बढ़ि कूरमा, अयुत पराक्रम सोह ॥१२॥-वही.पृ.६० 'मूलराज द्वितीय प्रथवा बाल मूलराज ११७७ ई० (१२३४ वि०) में गद्दी पर बैठा और
उसने केवल दो वर्ष राज्य किया । -रासमाला, रालिनसन, १९२४; पु. १६६ २ घग्घर। , गुजरात के इतिहास से बाल मूलराज के बाद वीसलदेव का गद्दी पर बैठना सिद्ध नहीं है।
टाड साहब ने किस प्राधार पर यहां बीसलदेव के राज्यकाल की बात लिखी है. यह ज्ञात नहीं हुआ। एक पट्टावली में लिखा है कि 'बाल मूलराज ने संवत् १२३२ वि० की फाल्गुन कृष्णा १२ से १२३४ वि० की चैत्र शुक्ला १४ तकरे वर्ष १ मास राज्य किया तदनन्तर उसके भाई भीमदेव (भोला भीम) ने राज्य प्रारम्भ किया। एक अन्य जन लेख के अनुसार भीम १२३५ में राजा हुआ । प्रबन्धचिन्तामणि में भी स्पष्ट लिखा लिखा है 'संवत् १२३५ पूर्व वर्ष ६३ श्री भीमदेवन राज्यं कृतं'। चालुक्य राजवंश की तिथियों पर अद्यतन अनुसंधान के प्राधार पर श्री अशोक कुमार मजूमदार ने भी भोला भीम का राज्यकाल वि० सं० १२३५ से १२९८ निश्चित किया है।
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