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________________ प्रस्तावना [ ११ जून ६ को सिरोही पहुंचा। जून १२ को आबू पहुंचा और २-३ दिन वहाँ के मन्दिर प्रादि देखता रहा । तब वहाँ से पालनपुर होता हुआ जून २० को वह सिद्धपुर पहुंचा। वहाँ अवश्य ही उसने कुछ दिन बिताये होंगे। परन्तु अब वहाँ वर्षा प्रारम्भ हो गई थी और उसका स्वास्थ्य भी बिगड़ गया था। अतः अहमदाबाद और खेड़ा होता हुमा सम्भवतः जून के अन्तिम दिन वह बड़ोदा पहुँच गया। तदनन्तर वर्षा के ये चार माह उसने बड़ौदा में ही बिताये। .. टॉड जानता था कि जनवरी, १८२३ ई. के उत्तरार्द्ध में हो उसे इंगलैंड जाने वाला जहाज मिलेगा, अतः वर्षा ऋतु की समाप्ति के बाद के दो-ढाई माह में उसने सौराष्ट्र की यात्रा का आयोजन किया, और रास्ते चालू होते ही वह अक्तूबर २६, १८२२ ई० को बड़ौदा से चल पड़ा । नवम्बर ४ को वह खम्भात पहुँचा। वहाँ नाव द्वारा गोगो (घोघा) में उतरा । गोगो से भावनगर और वल्लभी (वला) होता हुआ नवम्बर १७ को वह पालिताना पाया। वहाँ से अमरेली होता हुआ, गढ़िया और सूत्रापाड़ा की राह नवम्बर २६ को वह सोमनाथ-पट्टन पहुँचा। सोमनाथ और वेरावल में चार-पाँच दिन बिता कर वह दिसम्बर ४ को जूनागढ़ के लिये चल पड़ा । दिसम्बर ७ को वहाँ पहुँच कर उसने पूरे दस दिन जूनागढ़ और गिरनार देखने में बिताये। तब वहाँ से चल कर वह दिसम्बर २० को भांवड़ पहुंचा और पूरे तीन दिन तक वह जेठवों की उस उजड़ी नगरी गुमली के भग्नावशेषों को देखता रहा। तदनन्तर दिसम्बर २७ को वह द्वारका, प्रारमड़ा और बेट टापू देख-भाल कर जनवरी १, १८२३ ई० को जहाज में बैठ कर माण्डवी के लिये रवाना हुआ। दूसरे दिन तीसरे पहर माण्डवी पहँचा। जनवरी ३ को रात्रि का भोजन कर वह घोड़े पर ही भुज के लिये रवाना हो गया। दूसरे दिन प्रात: काल में वह भुज पहुंचा और तीन दिन वहाँ बिताने के बाद जनवरी ६ की रात्रि में वह वापस माण्डवी को चल पड़ा। दूसरे दिन प्रातः काल में माण्डवी पहुंचते ही वह जहाज पर चढ़ गया जो कुछ ही समय बाद बम्बई के लिये रवाना हुआ। टॉड का यह जहाज जनवरी १४ को बम्बई पहुँचा। यों टॉड की पश्चिम भारत की यह यात्रा पूरे साढ़े सात माह में समाप्त हुई। तदनन्तर कोई तीन सप्ताह तक उसे बम्बई में रुकना पड़ा और फरवरी ५, १८२३ ई० के लगभग ही वह 'साराह' जहाज से इंगलैंड के लिये रवाना हुआ। अपनी इस यात्रा के उद्देश्य को टॉड ने इन शब्दों में व्यक्त किया था'मैंने पहिले भारत के देवपर्वत, प्रसिद्ध आबू पर जाने का विचार किया और मार्ग में अरावली की स्वच्छंद भील जातियों से मिलने की इच्छा मेरे मन में Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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