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________________ प्रकरण - १०; अपहिलवाड़ा और अजमेर का युद्ध [२१३ पीता हूँ तो मुझे उसमें अपने हो रक्त का स्वाद प्राता है; मेरा शत्रु बलवान् है।" अन्यत्र वह कहता है "फिर भी, किसी दिन मैं अपने पिता को इस भीम की प्रांतों में से निकाल लूंगा।" इसके आगे चोहान की चौसठ हजार सेना और उसके मुखियाओं का वर्णन बड़े प्रभावोत्पादक ढंग से किया गया है। यह समाचार चालुक्य के पास भी पहुँचा; परन्तु, वह अनुत्साहित नहीं हुआ और उसने युद्ध के लिए कमर कस ली। सेना में एकत्रित होनेवाले सामन्तों की नामावली के निमित्त हम इस प्रसंग को संक्षेप में यहाँ उद्धत करेंगे और प्रतिपक्षी वरदाई को, अपने शत्रु के विषय में ऐसा वर्णन करने के लिए, एक बार फिर भी प्रशंसा करेंगे। ___ "जयसिंह का पुत्र कुपित हुआ। आवेश के कारण उसके अंग-प्रत्यंग फड़क उठे; उसकी आँखों में अग्नि प्रज्वलित हो गई और युद्ध के लिए सज्जित होने को उसने अपने वीरों का आह्वान किया। उसने देश भर में आमन्त्रण भेजा। नरेशों ने उसकी आज्ञा का पालन किया। खोत बाणों' (Khotbans) से लैस हो कर दो हजार खान पाए। तीन हजार घुड़सवारों के साथ तोशकदार कवच पहने हुए कच्छ का बल्ल पाया । एक हजार योद्धाओं के साथ सोरठ' का स्वामी और भयानक मुखाकृति वाला असाधारण धनुर्धारी ककराइच काले (Kakraicha kale) भी पाया, जिसको अपने तूणीर से एक लक्ष्य के लिए दूसरा बाण नहीं निकालना पड़ता था। फिर, झालावाड़ का झाला नरेन्द्र पाया, जिसके प्रस्थान करते ही सूर्य को किरणें भी धुंधली पड़ जाती थीं । काबा' सरदार मकरावण उपस्थित हुआ जिसके चलते ही देश के देश खाली हो जाते थे। फिर काठी की अर्गला-समान (काठी) नरेन्द्र पाए, जिनके शत्रुनों को कहीं भी शरण नहीं मिलती थी। इनके अतिरिक्त और भी बहुत से छोटे-मोटे सामन्त एकत्रित हुए जिनकी गिनतो में (चन्द) कहाँ तक करूँ? ऐसी चालुक्य की सेना थी, जो उसके देश गुर्जर-खण्ड से एकत्रित हुई थी और जिसे दिल्ली के गुप्तचरों ने एकत्रित होते देख कर अपने स्वामी को विवरण प्रस्तुत किया था। उन्होंने ' एक नली में से चलने वाले तीर [नावक ?] २ प्राधुनिक सूरत अथवा सौराष्ट्र का एक उपप्रान्त । 3 गुजरात में रहने वाली एक जाति-जिसका पेशा चोरी करना है। ये लोग अब भी वहां पाए जाते हैं। भीकृष्ण के स्वर्गमन के बाद जब अर्जुन यादव स्त्रियों के साथ द्वारिका से लौट रहा था तो काबों ने ही उनको लूट लिया था। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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