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________________ २०४ ] पश्चिमी भारत की यात्रा [पृष्ठ २०३ का शेष ] द्वारा पड़ोसियों अथवा प्राधीनता में आई हुई जातियों से अपनी वरिष्ठता बताना चाहते थे । टॉलमी के समय में यह प्रदेश तीन मुख्य भागों में बँटा हा था, जिनमें से एक Sadinics (सादिनी) वंश के अधीन था । इनकी प्रजा में बहुत करके दे उन्नतिशील व्यापारिक जातियाँ थीं जो, समुद्र-तट पर बसी हुई थीं। ___इस वंश का वर्णन पॅरिप्लुस (शीर्षक ५२) में प्राया है, उससे जात होता है कि Sandanes (सन्दनेस या स्यन्दनेश) ने कल्याण पर अधिकार कर लिया, जो पहले सॅरेंगनीस (Saragnes) के अधीन था। इसके बाद उसने व्यापार पर कड़े प्रतिबन्ध लगा दिए जिसके अनुसार यदि कोई ग्रीक जहाज भूल से भी उसके राज्य के बन्दरगाह पर पा जाता था तो उसे गिरफ्तार करके 'बरुगाजा' राजधानी में पहुंचा दिया जाता था। लासॅन (Lassen) के अनुसार Sandanes का आधार संस्कृत 'साधन' (Sadhana) शब्द है जिसका अर्थ पूर्ण, पूरक अथवा प्रतिनिधि होता है। Saraganes सम्भवतः महान् शातकर्णी अथवा प्रान्ध्र वंश में से कोई है । 'परिप्लुस' के अनुसार 'एरिमाके' से मलाबार अथवा सम्पूर्ण भारत के राज्य का प्रारम्भ होता है । (पृ. ३८-४०) ___Barygaza (बॅरिगाजा) का प्राधुनिक नाम भडौंच है, जो समुद्र से ३० मील दूर नर्मदा के उत्तर में स्थित है । पॅरिप्लुस में इसका बार-बार उल्लेख हुआ है। उस समय यह पश्चिमी भारत का सबसे बड़ा नगर और शक्तिशाली राज्य की राजधानी था। डॉ. जॉन विलसन ने (Indian castes, Vol. II, P. 11 3 में) इसकी व्युत्पत्ति इस प्रकार ____ भार्गव शब्द भगु से बना है । भृगु ऋषि थे। भडौच के निवासी अवश्य ही पूर्व में भृगु के अनुयायी होकर यहां पाए होंगे। यह क्षेत्र उनको किसी विजेता ने प्रदान किया होगा।' टॉलेमी का 'बॅरिगाजा' भुगुक्षेत्र अथवा भृगुकच्छ का ही अपभ्रंश है। अब तक भी अपढ़ गुजराती इसको 'बरगछ' कहते हैं । (पृ. १५३) ___Larike--लार देश गुजरात और कोंकण के उत्तरी क्षेत्र का प्राचीन नाम है। यह नाम बहुत दिनों तक चलता रहा क्योंकि प्रारम्भिक मुसलमानी समय तक पश्चिमी तट के पश्चिम में पाया हुआ समुद्र, लार समुद्र कहलाता था और यहाँ की भाषा 'मसऊदी या लारी कहलाती थी।'-Yule's Morcopolo, Vol, II. p. 535 टॉलेमी का दिया हुआ 'लारिके' (Larike) नाम का प्राधार भौगोलिक होने की अपेक्षा राजनीतिक अधिक है । यह भाग समुद्र के समीप होने के बजाय अन्तरंग की ओर है, जहाँ खूब खेतीबाड़ी और व्यापार होता था। (पृ. १५३) -Mc Crindle's Ancient India as described by Ptolemy. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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