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पश्चिमी भारत की यात्रा टॉलमी (Ptolemy) के समय में इतनी शक्तिशाली थी कि एक पूरा देश ही इसके नाम से विख्यात था और बारहवीं शताब्दी तक इसमें इतनी शक्ति मौजूद थी कि अणहिलवाड़ा के राजा को बदला लेने के लिए बल प्रयोग करना पड़ा। इस जाति के बचे-खुचे लोग अब ततीय वर्ण अथवा वैश्यों में पाए जाते हैं । मरु देश में बसने वाली चौरासी जातियों में से यह भी एक है, जो जैन मत का अवलम्बन करती है । मिस्र देशीय महान् भूगोलशास्त्री के 'लारिस' (Larice) और हमारे 'लार' देश के निवासियों के सम्बन्ध में इतना ही विवरण पर्याप्त है । 'लारिस' के पड़ोसी प्रान्त, जिसका नाम उसने 'एरिपाक' लिखा है, के विषय में हम प्रसंगवश पाठकों को पहले ही परिचय दे चुके हैं, और यदि विद्वान विल्फोर्ड (Wilford) 'तगर (Tagara) के स्थान पर एरिया (Aria) की राजधानी की इस व्याख्या को पूर्णतया मान लेता तो वह हिन्दू-पुरातत्त्व के महान् अन्वेषकों में गिना जाता। तगर (Tagara) और एरिपाक (Ariaca) के इस विवरण का अवसर एक शिलालेख के कारण उत्पन्न हुआ, जो बम्बई के पास तन्न (थाना या ठाणा) के खण्डहरों की खुदाई में प्राप्त हा था और सौभाग्य से जनरल करनाक (Caranc) के हाथ पड़ गया था। निःसंदेह इन लेखों से अब तक प्राप्त प्राचीन ऐतिहासिक तथ्यों में एक और मनोरंजक तथ्य की वृद्धि हो जाती है और विल्फोर्ड के विषय में यह कथन पूर्णतया न्यायसंगत ठहरता है कि इनको प्राप्ति के अनन्तर ऐसा योग्य रहस्योद्घाटक व्याख्याता (Expositor) और कोई नहीं हुआ । इन मूल्यवान अभिलेखों पर अतिरिक्त प्रकाश डालने के लिए मैं स्वयं को भी सौभाग्यशाली मानता हूँ क्योंकि इनसे प्रस्तुत विषय में पर्याप्त स्पष्टता आ जाती है।
१ 'इतिहास' में वैश्यों की चौरासी जातियाँ इस प्रकार गिनाई गई हैं
श्री श्रीमाल, श्रीमाल, पोसवाल, बघेरवाल, डिण्डू, पुष्करवाल, मेड़तवाल हरसोरा, सूरवाल, पल्लीवाल, भम्बू, खण्डेलवाल, दोहलवाल, केडरवाल, देसवाल, गूजरवाल, सोहड़वाल, अग्रवाल, जायलवाल, मानतवाल, कजोटीवाल, कोरतवाल, छेहत्रवाल, सोनी, सोजतवाल, नागर, माद, जल्हेरा, लार, कपोल, खेड़ता, बरारी, दशोरा, भांभरवाल, नागद्रा, करबरा, बटेवड़ा, मेवाड़ा, नरसिंहपुरा, खेतरवाळ, पञ्चमवाळ, हनेरवाल, सरखेड़ा, बैस, स्तुखी, कम्बोवाल, जीरणवाल, बघेलवाल, प्रोरछितवाल, बामनवाल, श्रीगुरू, ठाकरवाल, बलमीवाल, तिपोरा, तिलोता, अतवर्गी, लाडीसाख, बदनोरा, खींचा, गसोरा, बहावहर, जेमो, पदमोरा, महरिया, धाकड़वाल, मनगोरा, गोलवाल, मोहोरवाल, चीतोड़ा, काकलिया, भाडेजा, अन्दोरा, साचोरा, भंगरवाल, मनदहला, बामणिया, बगड़िया, डिण्डोरिया, बोरवाल, सोरबिया, पोरवाल, नफाग, और नागोरा । (एक कम है)
-क्रुक्स संस्करण, भा० १, १९२०, पृ० १४४
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