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________________ १८२] पश्चिमी भारत की यात्रा एक नगर बसाया जाय । वीसल नगर, जो आज तक विद्यमान है, इस इतिहास की सत्यता को प्रमाणित करता है। इस वृत्तान्त में सर्वत्र ही भाट ने अणहिलवाड़ा के राजा का 'बालूकराय' के नाम से उल्लेख किया है। परन्तु 'हमीर रासो' में, जिसमें रणथम्भोर [ रणस्तम्भवर] के इसी चौहान वंशीय राव हम्मीर के पराक्रम का वर्णन है, भाट ने यह लिखा है कि वीसलदेव राजा भीम के पुत्र कर्ण को बन्दी बनाकर ले गया था। राजा भीम के दो रानियाँ थीं, बीकलदेवी और उदयामती । पहली के पुत्र का नाम क्षेमराज था और दूसरी का पुत्र था कर्ण, जो राजगद्दी पर बैठने वाले राजपूतों में परम प्रसिद्धि को प्राप्त हुआ और अपने बड़े भाई' के होते हुए भी संवत् ११११ (१०५५ ई०) में पिता के सिंहासन पर आरूढ हुना। उसके अनेक पराक्रमों में से एक कोली और भील जातियों का पूर्ण दमन भी गिना जाता है। इसी प्रसंग में उसने आसा भील का वध किया था जो पल्लीपति (Pallipati) अथवा एक लाख धनुर्धारियों का स्वामी कहलाता था। उसने पुराने नगर को मिटाकर उसकी जगह निज के नाम पर कर्णावती' नगरी की स्थापना की, जिसकी स्थिति के बारे में हमें ठीकठीक पता नहीं है। चरित्र में लिखा है कि उसने सात 'डड्डों [डकारों को निकाल बाहर किया था; वे ये हैं- डण्ड, डाँड, डोम (डूम = गाने बजाने वाले) डाकण, डर, डम्भ (Damb'h ठग) और डूभ (निराशा)। उसने रैवताचल पर पहले से विद्यमान बावन विहारों के अतिरिक्त नेमिनाथ का परम ऐश्वर्ययूक्त मन्दिर बनवाया, जो उसी के नाम पर कर्णविहार के नाम से प्रसिद्ध हमा। उसने कर्णाटक के स्वामी अरिकेसर (Ari-cesar) की पुत्री मीनल देवी के साथ विवाह किया जिसने अणहिलवाड़ा के गौरव, सिद्धराज को जन्म दिया। कहते ' अपने पूर्वजों की परम्परानुसार भीमदेव ने बड़े पुत्र क्षेमराज को गद्दी सौंप कर वन में तपश्चर्या करने की इच्छा को, परन्तु क्षेमराज ने भी पिता के साथ वन में रह कर सेवा करना चाहा, अत: कर्ण को गद्दी पर बिठाया गया । (रासमाला) • हमें इस समय की प्रादिवासी जातियों के बहुत से उल्लेख मिलते हैं और इन्हीं जातियों से सम्बन्धित बहुत सी गढियों और नगरों के भी चिह्न प्राप्त होते हैं, जिनका अनुसन्धान होना चाहिए। डंड, डाँड, नई डुबी जेह, डाडणि, डाकणिनो काढ्यो तेह; डर छतो दूरि कोउ डंभ, काठ्या रोप्यो कीर्ती शंभ ॥१॥-कुमारपाल रास-ऋषभदास; प०१९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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