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प्रकरण - ६; प्रणहिलवाड़ा के राजा (भीमदेव )
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इसी विजय के फलस्वरूप दिल्ली के स्तम्भ पर लिखा गया कि विन्ध्य से हिमाचल तक म्लेच्छों को निकाल बाहर किया गया जिससे आर्यावर्त्त एक बार फिर 'पुण्यभूमि' बन गया । चन्द कहता है, जब गज़नी से कर के साथ-साथ वफादारी की 'आन'' की मांग भेजी गई तो शाकम्भरी के स्वामी ने अपने सामन्तों के नाम फरमान जारी किया । फिर ठठ्ठ और मुलतान के सरदारों के साथ मण्डोर और भटनेर के 'भार'' भी आए । अन्तर्वेद की सभी (राजपूत) शाखाएं उसके झण्डे के नीचे एकत्रित हुईं। सभी आए, परन्तु चालुक्य नहीं आया; उसे अपनी स्वाधीनता के लिए अपनी हो तलवार का भरोसा था। मारवाड़ में सोजत नामक स्थान पर विरोधी सेनाओं को मुठभेड़ हुई, जिसमें सोलंकी परास्त हुआ । वह जालोर चला गया, जो सम्भवतः उसके और प्रतिपक्षी के राज्यों का सीमा-स्थल था; परन्तु वह इस स्थान को भी छोड़ने के लिए बाध्य हुआ और विजेता ने प्रायद्वीप के मध्यभाग में गिरनार तक उसका पीछा किया। अपनी सेना को पुनः संगठित करके चालुक्य ने अपने दूतों को चौहान के पास भेज कर इस प्रकारण श्राक्रमण का कारण पुछवाया और कहलाया 'मैं तुमसे किसी बात में कम नहीं हूँ; एक मात्र कर, जो तुम ले सकते हो वह, तलवार है, जिसके टुकड़ों को, यदि पुनः युद्ध में विजयी हो जाओ तो, तुम बटोर ले जाना ।' चौहान वीसलदेव उस समय अपने देश को लौटने की तैयारी कर रहा था । उसने सच्चा राजपूती सौजन्य प्रदर्शित करते हुए चालुक्य को अपनी बात पर पुनः विचार करने का अवसर ही नहीं दिया प्रत्युत उसके सभी बन्दियों को मुक्त कर दिया और लूट का सामान भी लौटा दिया कि जिससे, भाट के शब्दों में, पुनः विजय प्राप्त करने पर फिर भी उसके पास कुछ मिल सके ।' 'चौहान ने अपनी सेना को चक्रव्यूह में सजाया और तुरन्त ही दो सहस्र सोलंकियों को मार गिराया । बाल-का- राय (बालूकराय) ने स्वयं सेना संचालन करके व्यूह का भंग किया । ' तलवार ने शोणित की नदी में फिर स्नान किया ।' दोनों प्रतिभट आपस में भिड़ गए और घायल हुए; रात्रि ने श्राकर उनको विलग किया। दूसरे दिन सन्धि हुई, जिसमें चालुक्य ने वीसलदेव के साथ अपनी पुत्री का विवाह करना स्वीकार किया और यह भी तय हुआ कि उस स्थान पर चौहान के नाम पर
" शपथ |
* Array - सैन्य - समूह |
3 गंगा और यमुना के बीच (अन्तर ) का प्रदेश ।
रासो में यह वर्णन पृथ्वीराज और भोला भीम के युद्ध-प्रसंग में आया है न कि किसी बीसलदेव और भीम के रण-विवरण हैं ।
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